पीयूष कुमार का आलेख 'चकादोला : नेह और सुरक्षा से भरी असीम आंखें'
![]() |
तस्वीर गगन कुमार मोहंता, बारीपदा (ओड़िसा), एक्रेलिक पेंटिंग |
भारतीय धार्मिक परम्परा में रथ यात्रा का अपना विशेष महत्त्व है। ऐसी मान्यता है कि एक दिन भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर देखने की इच्छा जताई। तब जगन्नाथ और बलभद्र ने उन्हें रथ पर बिठा कर नगर भ्रमण करवाया। इस दौरान वे अपनी मौसी गुंडिचा के घर भी गए और वहां सात दिन ठहरे। तभी से इस यात्रा की परंपरा शुरू हुई। आज भी यही यात्रा रथों के माध्यम से मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक होती है। यह यात्रा 12 दिनों तक चलती है और हर दिन का अपना खास महत्व होता है। तीनों रथों को खींचने वाली रस्सियों के भी अपने नाम होते हैं। भगवान जगन्नाथ के 16 पहियों वाले रथ को “नंदीघोष” कहा जाता है। इस रथ की रस्सी का नाम है शंखाचुड़ा नाड़ी। बलभद्र जी का रथ, जिसमें 14 पहिए होते हैं, उसे “तालध्वज” कहा जाता है और उसकी रस्सी को बासुकी नाम से जाना जाता है। देवी सुभद्रा का रथ, जिसमें 12 पहिए होते हैं और जिसे “दर्पदलन” कहा जाता है, उसकी रस्सी का नाम है स्वर्णचूड़ा नाड़ी। ये रस्सियां न सिर्फ रथ को खींचने का माध्यम होती हैं, बल्कि इन्हें छूना भी बहुत बड़ा सौभाग्य माना जाता है। भारतीय धार्मिक और आध्यात्मिक परम्परा में कई प्रतीक ऐसे हैं जिनके गूढ़ निहितार्थ हैं। गौरतलब है कि तीनों भाई बहन; बलभद्र, सुभद्रा और जगन्नाथ में भगवान जगन्नाथ की आंखें ही विशाल और गोल होती हैं। इन बड़ी और गोल आंखों को ओड़िसा में 'चकादोला' कहा जाता है। चकादोला का अर्थ है, प्रेम, सुरक्षा, सांत्वना और करुणा से भरी निस्सीम आँखें। इस वर्ष यह रथ यात्रा आज से आरम्भ हो रही है। इस अवसर पर आज हम प्रस्तुत कर रहे हैं पीयूष कुमार का आलेख 'चकादोला : नेह और सुरक्षा से भरी असीम आंखें'।
'चकादोला : नेह और सुरक्षा से भरी असीम आंखें'
पीयूष कुमार
भारतीय संस्कृति की बड़ी पहचान उसका आध्यात्मिक पक्ष है। विभिन्न परम्पराओं और रिवाजों में उसका यह दार्शनिक आध्यात्मिक पक्ष विविध रूपों में स्वयं को हर काल और स्थान पर व्यक्त करता रहा है। इस अभिव्यक्ति में यह भी पाया गया है कि भारतीय आस्था के विभिन्न प्रतीक देखने में स्थूल और मूर्तिमान हैं पर अपने अर्थ में सूक्ष्मता को धारण करते हैं। यह सूक्ष्मता आत्मा और परमात्मा के बीच की आध्यात्मिक कड़ी के रूप में स्थापित है। इस आध्यात्मिक विशेषता के बावजूद यह भी सच है कि यहां का जनमानस इस समृद्ध सांस्कृतिक थाती की इस सूक्ष्मता को कम समझता है और इसके स्थूल स्वरूप में ही मगन रहकर अपनी धार्मिक चेतना की सीमा का निर्धारण करता है।
हिन्दू धार्मिक-आध्यात्मिक परम्परा में इसी तरह एक अनोखा शब्द है, चकादोला। हिंदी समाज इससे लगभग अपरिचित ही है क्योंकि यह शब्द हिंदी का नहीं है। इस शब्द को समझने हमें ओड़िसा के जगन्नाथपुरी जाना होगा जहां विष्णु अपने उत्कलीय अवतार भगवान जगन्नाथ के रूप में अपने भाई बहनों के साथ बिराजते हैं। गौरतलब है कि तीनों भाई बहन; बलभद्र, सुभद्रा और जगन्नाथ में भगवान जगन्नाथ की आंखें ही विशाल और गोल होती हैं। इन बड़ी और गोल आंखों को ही ओड़िसा में 'चकादोला' कहा जाता है। चकादोला का अर्थ है, प्रेम, सुरक्षा, सांत्वना और करुणा से भरी निस्सीम आँखें। इन आँखों का अन्य उच्चारण 'चकदोला' या 'चोकोडोला' भी किया जाता है जिसके पर्यायवाची के रूप में 'चकनयन' या 'चकक्षिया शब्द ओड़िया भाषा में उपलब्ध हैं। ओडिसा में भगवान जगन्नाथ के लिए यह एक स्नेहसिक्त पुकार वाला नाम है जो लोकमानस के अन्तस् और बाह्य को भक्तिरंजित करता है।
यह शब्द किसी भाषा के किसी शब्द की शक्ति का अद्भुत उदाहरण है। चकादोला शब्द का आध्यात्मिक दार्शनिक अर्थ विस्तार करने पर जो कुछ निकल कर आता है, वह मनुष्य को स्थूल बातों से निकाल कर विस्तृत और परिष्कृत करता है। भगवान जगन्नाथ की यह बड़ी-बड़ी बालसुलभ और स्रेहसिक्त आंखें संसार के हर प्राणी को बराबरी के भाव में देखने, मन के भीतर गहरे उतरने और क्षणिक भौतिकवादी जीवन से परे देख सकने की असीम दृष्टि का प्रतीक हैं। भगवान जगन्नाथ की हमेशा जागरूक रहने वाली यह दिव्यदृष्टि मनुष्य को आत्मसाक्षात्कार करवा कर उसके आध्यात्मिक विकास का मार्ग प्रशस्त करती है।
![]() |
एक्रेलिक पेंटिंग राजकुमार दास |
भगवान जगन्नाथ की आँखों का यह विशाल आकार उनकी मूर्ति से कहीं अधिक विशिष्ट है। ओड़िया में दोला या डोला आंख की काली गोल पुतली को कहा जाता है। आंखों की इस पुतली को अंग्रेजी में प्यूपिल (Pupil) कहते हैं। आंख का यह काला हिस्सा ही प्रकाश को रेटिना तक पहुंचाने में मदद करता है जहां प्रकाश पहुंचने से दृश्य संकेत उत्पन्न होते हैं और मस्तिष्क द्वारा व्याख्या किए जाने से हमें देखने की क्षमता प्राप्त होती है। यह देखे जाने क्रिया से ही दृष्टि और फिर आगे दर्शन तक बात पहुंचती है। आंखें, तिस पर यह बड़ी बड़ी बालसुलभ स्मित आंखें! यह सोचना अद्भुत है कि कोई आंख है जो सकल को समग्रता में देख रही है और उस असीम सत्ता का सशक्त प्रतीक है चकादोला। भगवान जगन्नाथ की इन आँखों को ब्रह्मांडीय विस्तार में खगोल भौतिकी की दृष्टि से देखने पर प्रतीत होता है कि चकादोला की तरह विस्तृत और थालीनुमा चपटी गोल संरचना सभी सौरमण्डल और आकाशगंगाओं की है और शायद अंत मे भी इस ब्रह्मांड की भी है। चकादोला के इस अर्थ विस्तार से यह शब्द भगवान जगन्नाथ अर्थात प्राकृतिक शक्ति की ब्रह्मांडीय उपस्थिति का परिचायक प्रतीत होता है। उनकी यह आँखें ब्रह्मांड की विशालता और उसमें हमारी स्थिति की निगरानी की याद दिलाती हैं जिससे हमें अपने प्राकृतिक सहअस्तित्व को समझने और अपनी क्षुद्रता को महसूस करने में सहायता मिलती है।
हिंदू आध्यात्मिकता में किसी देवता की आँखों का बड़ा महत्व होता है। इस लिहाज से देखा जाए तो चकादोला किसी भी देवता की सबसे बड़ी आंखें हैं जो उसकी विशाल दृष्टि की सर्वव्यापकता और सर्वज्ञता का प्रतीक है जो यह याद दिलाता है कि वे समय और स्थान की भौतिक सीमाओं से परे हैं। चकादोला की यह व्याख्या ब्रह्मांड की विशालता को मूर्त रूप में व्यक्त करती हैं। यह आँखें भगवान जगन्नाथ के असीम ज्ञान और ब्रह्मांड में होने वाली हर चीज़ को देखने और समझने की उनकी क्षमता के रूपक के रूप में काम करती हैं।
चकादोला के और भी अर्थविस्तार से हमें कबीर के राम याद आते हैं जो सगुण-निर्गुण और काल स्थान से परे हैं। गौरतलब है कि इस्लामिक दृष्टि में अल्लाह भी इसी तरह सभी सीमाओं से पार, सर्वत्र और अव्याख्येय है। इन धार्मिक अवधारणाओं को वैज्ञानिकता और तार्किकता से देखने पर भी यही बात निकलकर आती है कि सृष्टि को संचालित करने वाली प्रकृति की शक्ति भी इसी तरह है। वह प्रकृति जो सर्वत्र है, अनंत है, पारदर्शी है और सूक्ष्म है ठीक चकादोला की तरह। ऐसे में चकादोला का आध्यात्मिक अर्थ ब्रह्मांड के वैज्ञानिक अर्थ के बहुत निकट जान पड़ता है।
भगवान जगन्नाथ की यह आंखें जिसे चकादोला कहा जाता है, सृष्टि को संचालित करने वाली सत्ता को ठीक से समझने और तदनुरूप व्यवहार करने को प्रेरित करता है। इससे निःसृत करुणा, सुरक्षा, सांत्वना और प्रेम से भरी आंखों का भाव हम सबमें उत्तरे; प्रकृति और मनुष्यता सुरक्षित रहे, यह कामना है।
(लेखक साहित्यकार और लोक संस्कृति अध्येता हैं। संप्रति उच्चशिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन में हिंदी के सहायक प्राध्यापक है।)
![]() |
पीयूष कुमार |
संपर्क
मोबाइल - 8839072306
ईमेल : piyush3874@gmail.com
अद्भुत। चकदोला के विषय मे इतना सुन्दर और सारगर्भित लेख के लिए पीयूष जी को बधाई।
जवाब देंहटाएंसंतुलित और सारगर्भित आलेख 👍
जवाब देंहटाएंकई अनसुनी शब्द यहां देखने को मिला बहुत ही रोचक जानकारी प्राप्त हुई
जवाब देंहटाएं