अनिल कुमार राय का आलेख ‘आलोचक की प्रतिज्ञाएं।

राजेंद्र कुमार प्रयाग पथ पत्रिका का हाल ही में नया अंक आया है यह अंक हिंदी के प्रतिष्ठित आलोचक एवम रचनाकार प्रोफेसर राजेंद्र कुमार के रचनात्मक अवदान पर केंद्रित है । किसी भी पत्रिका द्वारा किया गया यह पहला प्रयास है। प्रोफेसर राजेंद्र कुमार के आलोचना कर्म को रेखांकित करते हुए प्रोफेसर अनिल कुमार राय ने एक आलेख लिखा है जो इस अंक में शामिल है। आज पहली बार पर प्रस्तुत है अनिल कुमार राय का आलेख ‘ आलोचक की प्रतिज्ञाएं । आलोचक की प्रतिज्ञाएं अनिल कुमार राय राजेंद्र कुमार साहित्य और समाज के प्रश्नों, समस्याओं तथा चिंताओं के जिन विश्लेषणों और निष्कर्षों से हो कर गुज़रते हैं, उनसे बनने वाला आलोचना का मानचित्र बड़ा भी है और विविधताओं से भरा हुआ भी । संस्कृति, अर्थ, राजनीति, इतिहास, परम्परा, आधुनिकता, नवजागरण, प्रगतिशीलता, वर्ग-चेतना, विश्व-दृष्टि, औपनिवेशिक-उत्तरऔपनिवेशिक विमर्श, पूंजीवादी-साम्राज्यवादी प्रपंच आदि के बारे में विचार करते हुए ये अपनी आलोचना का एक जरूरी और सार्थक परिप्रेक्ष्य निर्मित करते है