पिरिमकुल कादिरोव के उपन्यास बाबर पर कृष्ण कल्पित की समीक्षा 'इस बाबर को आप नहीं जानते'

पिरिमकुल कादिरोव इतिहास अतीत की बात करता है। अतीत की खूबियों और खामियों में हम चाह कर भी कोई सुधार नहीं कर सकते। आज इतिहास पर वही लोग ज्यादा बातें करते हैं जिन्होंने इतिहास को कभी पढ़ा ही नहीं। सुनी सुनाई बातों से इतिहास नहीं बनता। इतिहास के साथ दिक्कत यह है कि सबूतों के बिना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ता। और अतीत के सबूत कुछ इस तरह के हैं जिन्हें समूल मिटाया भी नहीं जा सकता। इतिहास को हम तभी बेहतर समझ सकते हैं जब हम उस काल खण्ड में जा कर तथ्यों को समझने की कोशिश करें। भारतीय इतिहास में बाबर एक ऐसा ही ऐतिहासिक व्यक्तित्व है जिसको ले कर आज तमाम उल्टी सीधी बातें की जा रही हैं। रूसी उपन्यासकार पिरिमकुल कादिरोव के उपन्यास बाबर से हमें पता चलता है कि 'बाबर खुद आक्रांता नहीं था बल्कि वह तो आक्रांताओं का सताया हुआ एक भगोड़ा था जो हिंदुस्तान को जीतने की नीयत से नहीं बल्कि शरण पाने के लिए यहां आया था।' अगर हम इस बात को मान भी लें कि बाबर आक्रांता था तब भी हकीकत तो यही है कि दिल्ली फतह करने के बाद वह इस हिन्दुस्तान का ही हो कर रह गया। कभी वापस अपने मुल्क फरगना नहीं लौटा। उसने अपनी जो आत्मकथ...