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आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का निबंध 'आपने मेरी रचना पढ़ी'

जीवन व्यवहार अपनी तरह से घटित होता रहता है और यह घटित साहित्य का विषय बनता है। ललित निबन्ध  गद्य की एक ऐसी  महत्त्वपूर्ण विधा है  जिसमें तरतीबवार बातें रोचक तरीके से की जाती हैं। ललित निबंध लिखना आसान नहीं होता। वस्तुतः यह अत्यंत परिष्कृत और प्रौढ़ गद्य का प्रतीक माना जाता है। इसे आधुनिक चेतना का परिणाम माना जाता है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल इसे 'गद्य की कसौटी मानते हैं ।' हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कुछ अदभुत ललित निबन्ध लिखे हैं। ये निबन्ध पढ़ते हुए हम अपने समय और समाज से हो कर गुजरते हैं। इसीलिए ये आज भी प्रासंगिक लगते हैं। द्विवेदी जी का एक महत्त्वपूर्ण ललित निबंध है 'आपने मेरी रचना पढ़ी?'। आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं हजारी प्रसाद द्विवेदी का ललित निबंध  'आपने मेरी रचना पढ़ी?'                   आपने मेरी रचना पढ़ी हजारी प्रसाद द्विवेदी हमारे साहित्यिकों की भारी विशेषता यह है कि जिसे देखो वहीं गम्भीर बना है, गम्भीर तत्ववाद पर बहस कर रहा है और जो कुछ भी वह लिखता है, उसके विषय में निश्चित धारणा बनाये बैठा है कि वह एक क्रान्तिकारी लेख है।  जब आये दिन ऐसे ख्यात-अख्यात सा

प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी का आलेख एक कम्प्लीट आलोचक मैनेजर पांडेय 

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  मैनेजर पांडेय  बीते 6 नवम्बर 2022 को हिन्दी साहित्य के प्रख्यात आलोचक प्रोफेसर  मैनेजर पांडेय का निधन हो गया।  मैनेजर पांडेय  ने  हिन्दी की मार्क्सवादी आलोचना को, सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के आलोक में, देश-काल और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अधिक संपन्न और सृजनशील बनाने का काम किया।  दुनिया भर के समकालीन विमर्शों, सिद्धांतों और सिद्धांतकारों पर उनकी पैनी नजर रहती थी।  वैश्विक विवेक और आधुनिकता बोध उनकी आलोचना की प्रमुख विशेषताएं हैं। आलोचक जगदीश्वर चतुर्वेदी ने उनसे केवल शिक्षा ही प्राप्त नहीं की, बल्कि उन्हें नजदीक से देखा और परखा। इसी क्रम में जगदीश्वर जी ने पाण्डेय जी पर एक संस्मरण लिखा है। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं  जगदीश्वर चतुर्वेदी का संस्मरण ' एक कम्प्लीट आलोचक मैनेजर पांडेय'। एक कम्प्लीट आलोचक मैनेजर पांडेय  जगदीश्वर चतुर्वेदी                 प्रोफ़ेसर मैनेजर पांडेय की मृत्यु हम सबकी व्यापक क्षति है।आलोचक के मरने पर आम तौर पर लोग वैसे ही दुखी हैं, जैसे अन्य किसी की मृत्यु पर दुखी होते हैं। लेकिन मैनेजर पांडेय की मौत नहीं हुई है। वे अपनी सुनियोजित आलोचना द

मनोज कुमार पांडेय की प्रेम कविताएँ

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     परिचय   मनोज कुमार पांडेय                                                                                      7 अक्टूबर 1977 को इलाहाबाद के एक गाँव सिसवाँ में जन्म। लम्बे समय तक लखनऊ और वर्धा में रहने के बाद आजकल फिर से इलाहाबाद में।   कुल पाँच किताबें - ‘ शहतूत ’ , ` पानी ’ , ` खजाना ’ और ` बदलता हुआ देश ’ (कहानी संग्रह) , ‘ प्यार करता हुआ कोई एक ’ (कविता संग्रह) - प्रकाशित। देश की अनेक नाट्य संस्थाओं द्वारा कई कहानियों का मंचन। कई कहानियों पर फिल्में भी। अनेक रचनाओं का उर्दू, पंजाबी, नेपाली , मराठी , गुजराती, मलयालम तथा अंग्रेजी आदि भाषाओं में अनुवाद। कहानी और कविता के अतिरिक्त आलोचना और सम्पादन के क्षेत्र में भी रचनात्मक रूप से सक्रिय।   कहानियों के लिए स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान (2021) वनमाली युवा कथा सम्मान (2019) , राम आडवाणी पुरस्कार (2018) , रवीन्द्र कालिया स्मृति कथा सम्मान ( 2017 ), स्पन्दन कृति सम्मान ( 2015 ), भारतीय भाषा परिषद का युवा पुरस्कार ( 2014) , मीरा स्मृति पुरस्कार ( 2011 ), विजय वर्मा स्मृति सम्मान ( 2010 ), प्रबोध मजुमदार स्मृति सम्