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प्रद्युम्न कुमार सिंह की कविताएं

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प्रद्युम्न कुमार सिंह मनुष्य का पर्यावरण के साथ एक ऐसा अभिन्न रिश्ता है जिससे   अलग उसके अस्तित्व की कल्पना तक नहीं की जा सकती। कीड़ों मकोड़ों से ले कर पशु पक्षी तक का इस पर्यावरण को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान है। दुर्भाग्यवश विकास क्रम में मनुष्य जैसे जैसे आगे बढ़ा वैसे वैसे पर्यावरण को हम दूषित करते गए। यही नहीं अपने सहजीवी पशु पक्षियों को अपने स्वार्थ वश लगातार खत्म करते गए। आज स्थिति यह है कि अनेक पेड़ पौधे और पशु पक्षी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। एक सजग कवि की नजर अपने पर्यावरण पर भी होती है। प्रद्युम्न कुमार सिंह ने उन दिनों को याद किया है जब हम   सहजीविता में विश्वास करते थे। आज पहली बार पर प्रस्तुत है प्रद्युम्न   कुमार सिंह की कविताएँ। प्रद्युम्न कुमार सिंह की कविताएं तुलसी की रत्नावली सबको कहाँ नसीब होता है प्रेम के लिए   सब कुछ समर्पित कर देना नहीं होता सभी में   इतना अधिक साहस कि दुत्कार सकें देह की गन्ध मे आशक्त हुए प्रेमी को   प्रेमिकाएं तो प्रेमिकाएं पत्नियां भी नहीं कर पाती   अपने प्रिय को