रविशंकर उपाध्याय
जन्म-१२ जनवरी १९८५ , बिहार के कैमूर जिले में , शिक्षा - काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से , स्नातक और परास्नातक (हिंदी) , वर्तमान समय में यहीं से कुंवर नारायण की कविताओं पर शोधरत... परिचय , युवा संवाद , जनपथ , संवदिया, दैनिक जागरण आदि पत्र पत्रिकाओं में कवितायें एवं आलेख प्रकाशित... हिंदी विभाग की पत्रिका "संभावना" के आरंभिक तीन अंको का सम्पादन .... कृष्णा सोबती ने कहा है कि 'कोई भी कलम मूल्यों के लिए लिखती है, मूल्यों के दावेदारों के लिए नहीं.' दरअसल ये मूल्य हमारे समय के होते हैं. और जब इस समय को कोई कवि अपनी रचनाओं में खुद जीने लगता है तो वह पूरी दम-ख़म के साथ हमारे सामने आता है. कवि की कविता ही उसके सरोकारों को स्पष्ट रूप से बता देती है. और वही उसकी थाती होती है. इसमें कोई संशय नहीं कि हमारे समय की कविता विकेन्द्रीकृत हो कर कुछ अधिक जनोन्मुखी और लोकोन्मुखी हुई है. रविशंकर उपाध्याय ऐसे ही युवा कवि हैं जिन्होंने तामझाम से इतर, चुपचाप और साफगोई से कविता से अपने सरोकारों को जोड़ा है. उनकी कविता अपने 'हकों के प्रति सन्नद्ध' है.