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भरत प्रसाद के लिखे जा रहे उपन्यास का एक अंश 'इलाहाबाद विश्वविद्यालय अर्थात सायकिल से तीर्थ यात्रा'।

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    रचनाशीलता अपने आप में वह सकारात्मकता है जिसके केन्द्र में सामाजिकता होती है। कई रचनाकार बहुमुखी प्रतिभा वाले होते हैं। वे एक साथ कविता , कहानी , उपन्यास , आलोचना आदि के क्षेत्र में लेखन कर लेते हैं। ऐसे में विधाओं के बीच ओवरलैपिंग की संभावनाएं होती हैं। हर विधा को अलग अलग साध पाना मुश्किल होता है। भरत प्रसाद के पास इसे साध लेने का हुनर है। वे हमारे समय के ऐसे ही रचनाकार हैं जो आलोचना के साथ साथ कविता , कहानी और उपन्यास विधाओं में साधिकार लेखन कर रहे हैं। इन दिनों भरत प्रसाद एक उपन्यास लिखने में लगे हुए हैं। आज पहली बार पर प्रस्तुत है भरत प्रसाद के लिखे जा रहे उपन्यास का एक अंश ' इलाहाबाद विश्वविद्यालय अर्थात सायकिल से तीर्थ यात्रा ' ।                                                   उपन्यास अंश                                           इलाहाबाद विश्वविद्यालय अर्थात् सायकिल से तीर्थ यात्रा   भरत प्रसाद                    अगस्त का नरम , गीला , रसदार और अधखुला महीना जब बारिश अपने शबाब पर होती है। हर तरफ पानी की सत्ता , सड़कों और एकांत मा