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लाल बहादुर वर्मा का आलेख 'इस्पाती इरादे : निकोलाई ओस्त्रोव्स्की'

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  लाल बहादुर वर्मा  लेखन वह जगह है जहां लेखक खुद को अभिव्यक्त तो करता ही है, अपने को खोलता भी है। कोई लेखक लाख प्रयास कर ले, लेखन में खुद को छुपा नहीं सकता। उसके विचार के साथ साथ जीवन भी लेखन में आ ही जाता है। 19वीं और बीसवीं सदी के रूसी साहित्य में कई ऐसे नामचीन लेखक दिखाई पड़ते हैं, जिनका लेखन क्लासिकल माना जाता है। इस रूसी साहित्य को दुनिया भर में इसलिए आदर प्राप्त है क्योंकि इसमें मानवीय श्रम को गरिमा प्रदान की गई है। निकोलाई ओस्त्रोव्स्की का एक विश्व विख्यात उपन्यास है 'हाउ द स्टील वाज़ टेम्पर्ड' यानी 'लोहा कैसे तपा'। यह उपन्यास एक तरह से ओस्त्रोव्स्की के जीवन संघर्ष की गाथा ही है। दरअसल यह उस सोवियत युवा की कहानी है जो अपने जीवन में बाधाओं का सामना करने के बाद भी अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ रहता है। ओस्त्रोव्स्की का जन्म 29 सितंबर 1904 को यूक्रेन में हुआ था और 22 दिसंबर 1936 को उनका निधन हो गया। यानी उन्होंने मात्र बत्तीस वर्षों का जीवन पाया लेकिन इस जीवन के एक एक क्षण का सदुपयोग किया।  लाल बहादुर वर्मा की ख्याति एक प्रतिबद्ध सामाजिक कार्यकर्त्ता की ...