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विमलेश त्रिपाठी के उपन्यास “कैनवास पर प्रेम” पर वैभव मणि त्रिपाठी की समीक्षा।

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कवि एवं कहानीकार विमलेश त्रिपाठी का भारतीय ज्ञानपीठ से “कैनवास पर प्रेम” नामक उपन्यास प्रकाशित हुआ है । इस उपन्यास की एक बेबाक समीक्षा लिखी है वैभव मणि त्रिपाठी ने । आईए पढ़ते हैं यह समीक्षा ।       एक सुन्दर कोलाज सरीखी रचना कैनवास पर प्रेम वैभव मणि त्रिपाठी   एक कुशल नट अपने खेल में हर बार रस्सी के अलग अलग हिस्से में अपनी लय और संतुलन खोने का दिखावा करता है जिससे कि देखने वाला हर बार एक नए रोमांच से रूबरू हो । प्रेम कहानी के लेखक को भी एक सधे हुए नट की मानिंद रोज़ उसी रस्सी पर चलते हुए अलग-अलग हिस्सों में अपना संतुलन खोने का नाटक करना होता है जिससे कि पाठक को हर बार एक नया खेल रचे जाने का आभास होता रहे । एक सफल प्रेम कथा का कहने वाला वह है जो अपनी रचना में इस रोमांच को बनाये बसाये रखे । प्रेम की अधिकतर कहानियों में यही होता है कि अपने से आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर तबके का एक साधारण सा लड़का और बहुत ऊँचे कुल खानदान और सामाजिक हैसियत वाली लड़की । खाप की भूमिका में परिवार और दोस्ती के लिए जान लुटाने को तैयार बैठे दोस्त, फिर बिछ...