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शहंशाह आलम की कविताएँ

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शहंशाह आलम कुछ कवियों के पास कविता लिखने का हुनर होता है परन्तु उनमें साहस की कमी होती है । कुछ के पास साहस होता है परन्तु अपनी बात को कविता में कह पाने का हुनर नहीं होता । बिरले कवि ऐसे होते हैं जिनके पास साहस के साथ-साथ हुनर भी होता है। हम आज ‘पहली बार’ पर जिस कवि की कविताएँ प्रस्तुत करने जा रहे हैं उनमें ये दोनों बातें सहज ही देखी जा सकती है। एक तरफ यह कवि जहाँ दुनिया की सबसे कद्दावर शख्सियत अमरीकी राष्ट्रपति पर प्रहार करता दिखाई पड़ता है दूसरी तरफ अपने ही शहर के वरिष्ठ कवियों द्वारा कनिष्ठ कवियों की उपेक्षा को भी कविता के मार्फत उजागर करने का माद्दा रखता है। ऐसे में यह कवि जानता है कि उसे अपना ‘बाघ’ तलाशने का काम ख़ुद ही करना है। वह ज़माना गया जब कोई वरिष्ठ आपको संकट के समय उबारने के लिए बेहिचक आपके साथ आ खड़ा होता था। मत भूलिए कि यह समय पूँजीवादी, बाजारवादी और आभासी समय है। बात न होते हुए भी लोगों के पास बहुत बातें हैं। समय होते हुए भी लोगों के पास समय का अकाल है। इस जमाने में किसी के पास मुट्ठी भर समय की भी गुंजाईश नहीं। अब सब अपने-अपने कोटरों में बंद रहना ही अधिक पसन्द ...