पंकज मोहन का आलेख 'मदिरा और मोमो : सातवीॅ सदी चीन के एक मंत्री के जीवन के उत्थान-पतन की कथा'

 

पंकज मोहन 


थांग राजवंश (618-907 ई.) चीन के इतिहास का एक महत्वपूर्ण और समृद्ध "स्वर्ण युग" था। यह राजवंश अपने मजबूत सैन्य बल, सफल कूटनीतिक संबंधों, सांस्कृतिक उत्कर्ष और महानगरीय संस्कृति के लिए जाना जाता है। इस काल में रेशम मार्ग फिर से खुला, कला और संस्कृति का पर्याप्त विकास हुआ। इसी समय चीन एक शक्तिशाली और विश्व-व्यापी साम्राज्य बना। चीन की एकमात्र महिला शासक, महारानी वू ज़ेटियन, भी इसी राजवंश के दौरान रहीं। थांग राजवंश का नया इतिहास जिसे औ यांग-शियु ने सन 1060 में पूरा किया, में मा चौ नामक "गुदरी में लाल" की संक्षिप्त जीवनी संकलित है। 1620 में प्रकाशित "पुरानी और नई  कथाएं" नामक पुस्तक में मा चौ के जीवन की कहानी थोड़ा विस्तार से कही गई है। इस कहानी पर प्रकाश डाला है विख्यात इतिहासकार पंकज मोहन ने। पंकज मोहन चीनी भाषा, साहित्य और संस्कृति के विशेषज्ञ हैं। तो आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं पंकज मोहन का आलेख 'मदिरा और मोमो : सातवीॅ सदी चीन के एक मंत्री के जीवन के उत्थान-पतन की कथा'। 


'मदिरा और मोमो :  सातवीॅ सदी चीन के एक मंत्री के जीवन के उत्थान-पतन की कथा'


पंकज मोहन 


थांग राजवंश के परम प्रतापी, प्रजावत्सल और प्रबुद्ध शासक थांग थाय-जोंग (Reign year 626-649) के शासन काल में शायद ही कोई प्रतिभावान युवक होगा जिसे उन्होंने सरकारी पद पर आसीन हो कर  प्रशासन को सुदृढ करने का आमंत्रण न दिया हो। उनके शासन काल में पाचौ जिला में  मा चौ नामक एक अत्यंत प्रतिभावान युवक था जिसके माता-पिता का देहांत उसके बाल्यकाल में ही हो गया था, लेकिन अपनी लगन और मेहनत के बल पर साहित्य, इतिहास और सैन्य रणनीति के क्षेत्र में उसने इतना गहरी समझ विकसित कर ली थी कि तत्कालीन प्रशासन में ऊंचे-ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारियों का तत्विषयक ज्ञान उसके पासंग के बराबर भी नहीं था। निर्धनता और बड़े लोगों से जान पहचान न होने के कारण वह उस ड्रैगन की तरह था जिसके पंख दलदल में फंस कर कमजोर हो गये हों और जो उड़ान भरने में असमर्थ हो। अपनी असफलता के बारे में सोच कर उसे बहुत निराशा होती थी जिसे वह शराब में डुबोता था।


उसे शराब की लत लग गई और पडोसियों के घर शराब मांगने पहुंच जाता। जब वह नशे में होता तो गालियाँ भी बकता। उसके सभी पड़ोसी उसके इस आचरण से तंग आ कर उससे घृणा करने लगे और उसकी पीठ पीछे उसे 'गरीब, निकम्मा' कहने लगे। मा चौ ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। पाचौ जिला के नवनियुक्त जिलाधीश को जब पता चला कि मा चौ चीनी शास्त्र का तलस्पर्शी विद्वान है, उसने जिला स्कूल में सहायक शिक्षक के पद पर उसकी नियुक्ति की, लेकिन वह स्कूल में शराब के नशे में धुत्त रहता था। एक बार जिलाधीश ने जब विद्यालय का निरीक्षण किया और देखा कि मा चौ कक्षा में छात्रों को पढाने के बजाय शराब पी रहा है और अपने पैरों पर खड़ा भी नहीं हो पा रहा है, उसे बहुत गुस्सा आया। जब मा चौ को होश आया, वह जिलाधीश से माफी मांगने गया। जिलाधीश ने उसे बहुत देर तक फटकार लगाई, और मा चौ ने उसकी हर बात मानी; लेकिन वह अपना रवैया नहीं बदल सका। एक दिन रात में वह नशे में धुत हो कर सडक पर गीत गा रहा था। उसके दाएं और बाएं हाथ उसके दो छात्र  पकड़े हुए थे, नहीं तो वह गिर जाता। संयोग से सामने से वाहन पर सवार हो कर जिलाधीश आ रहा था। सिपाहियों ने चिल्ला कर कहा, उसके रास्ते से हट जाएँ, लेकिन मा चौ उन सबको गालियाँ देने लगा। जिलाधीश ने उसे वहीं सड़क पर अच्छी तरह डाँटा। मदहोश होने के कारण मा चौ को इस बारे में कुछ भी पता नहीं चला, लेकिन अगली सुबह जब छात्रों ने उसे विगत रात की घटना से अवगत कराया और जिलाधीश के पास जा कर माफ़ी मांगने के लिए कहा, मा चौ ने आह भरते हुए कहा, "लो, यह सरकारी पोशाक, इसे जिलाधीश कार्यालय में लौटा दो। मास्टरी का काम दो जून की रोटी के लिए किया था, इस काम में मेरी रुचि नहीं है।" इतना कह कर उसने पश्चिम की राह पकड़ी और बहुत जल्द ही शिन-फंग शहर पहुँच गया।


वह थका-मांदा था, इसलिए वह शिन-फंग शहर  के एक बड़े सराय में घुसा। ठीक उसी समय घोड़े पर चढ कर कुछ व्यापारी भी सराय के अंदर घुसे थे। सराय के नौकर सब व्यापारियों के स्वागत में जुट गये। मा चौ चुपचाप एक तरफ अकेला बैठा रहा। किसी ने उसकी ओर ज़रा भी ध्यान नहीं दिया। उसने मेज़ पर ज़ोर से मुट्ठी पटकी और कहा 'सराय मालिक! क्या मैं अतिथि नहीं हूँ?  तुम्हारे आदमी मेरा ख्याल न कर व्यापारियों की खिदमत कर रहे हैं। इसका क्या मतलब है?'


यह शोर सुन कर सराय मालिक ने अपना काम छोड़ दिया और कहा, 'कृपया नाराज़ न हों, महोदय। व्यापारियों का एक पूरा दल है, हमें पहले उनके रहने का इन्तजाम करना होगा। आप अकेले हैं, आपके लिए देखभाल करना आसान होगा।' बस मुझे बता दीजिये कि आपको कौन-सा खाना या शराब पसंद है।' बस थोडा सब्र कीजिये।


थोड़ी देर में सराय का नौकर मधुघट, चीनी मिट्टी का कटोरा, मांस और सब्जियों से भरी थाली ले कर आया। 


उस दिन रात में मा चौ सराय में ही रुका। दूसरे दिन जब उसे निकलना था, उसके  पास सराय का किराया चुकाने का पैसा नहीं था। उसने अपना कीमती कोट उतार दिया और सराय मालिक से कहा, 'इस कोर्ट को रख लो। बहुत कीमती है।" 


सराय के मालिक को मा चौ के बात-व्यवहार से मालूम हो गया था कि वह असाधारण प्रतिभा का व्यक्ति है। उसने कोट लेने से इनकार कर दिया। मा चौ ने तुरंत तूलिका माँगी और दीवार पर निम्नलिखित पंक्तियाँ लिख दीं।


बस एक कटोरा भात के एवज में

अतीत के ऋषि-मुनि दे देते थे ईट कंचन का

भोजन का दाम वे नहीं देखते थे 

वे आंकते थे मूल्य करुणा का, निर्मल मन का।


शिनफंग में मैने पी मदिरा और दिया

सराय-मालिक को कीमती कोट, क्योकि मैं हूं निर्धन 

सराय मालिक ने नहीं लिया मेरा वस्त्र

कितना उच्च है उसका विचार, सचमुच अति सज्जन।


सुडौल अक्षरों में लिखी सुन्दर कविता को पढ कर सरायपाल वांग बहुत प्रसन्न हुआ। उसने पूछा,  कहाँ जा रहे हैं?


मा चौ ने उत्तर दिया, राजधानी चांग-आन।

'क्या वहाँ ठौर-ठिकाना है?' वांग ने पूछा। 

मा चौ ने जवाब दिया, नहीं है।


वांग ने आगे कहा: 'मैं देख रहा हूँ कि आप बहुत प्रतिभावान हैं, महोदय, और वहां हमारे गुणग्राही सम्राट रहते हैं। निश्चित रूप से वहां आपको यथोचित सम्मान मिलेगा। लेकिन चांग-आन एक ऐसी जगह है जहाँ 'चावल मोतियों के दाम बिकती है महोदय। आपकी जेब खाली है। आप वहाँ कैसे रहेंगे? वहां मेरी भतीजी अपने पति के साथ मिल कर मोमो की दुकान चलाती है। मैं उसे एक पत्र लिख देता हूं। आप वहाँ ठहर सकते हैं। राह खर्च के लिये ये कुछ रुपये  हैं, आप रख लीजिये। रास्ते में आपके काम आयेगा।' 


मा चौ ने सरायपाल के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए उसके उपहार लिये और कहा, 'आपके उपकार के बोझ से जीवन भर दबा रहूंगा, लेकिन मेरे मन मे विश्वास है कि एक दिन मेरे भाग्य का सितारा चमकेगा और मैं आपके लिये जरूर कुछ कर पाऊंगा।


चांग-आन पहुंच कर मा चौ मोमो की दुकान पर गया। वहां मालकिन बैठी थी। उसे सराय मालिक वांग का पत्र दिया। वह तीस साल की निःसंतान विधवा थी। वह अपूर्व रूपसी थी। उसके पति बस एक साल पहले ही अकाल काल-कवलित हो गये थे। कुछ दिन पहले एक ग्राहक जो पहुंचे हुये ज्योतिषी थे, ने उसे देख कर कहा था, तुम्हारा चेहरा पूर्णिमा के चांद जैसा है, अधर लाल कमल की पंखुड़ियों जैसे हैं और तुम्हारी आवाज़ में आशा का माधुर्य है। शीघ्र ही आभिजात्य वर्ग में तुम्हारा प्रवेश होगा।


चांग-आन नगर का कमांडेंट चांग हो इस महिला के सौंदर्य पर आसक्त था। यह रोज एक महिला को मैडम वांग की दुकान पर मोमो खरीदने के बहाने भेजता। वह महिला उसे मनाने का प्रयास करती कि कमांडेंट की रखैल बन कर सुख-सुविधा का जीवन जी सकती है, लेकिन मैडम वांग मनाने-फुसलाने की इन बातो का प्रतिकार तिरस्कार भरी हंसी से करती।


मा चौ के आने से पहले वाली रात मैडम वांग ने एक अजीब सपना देखा था, जिसमें पूर्व दिशा से एक सफेद घोड़ा आया, उसकी दुकान में घुसा और उसके सारे मोमो खा गया। उसने एक चाबुक पकड़ कर घोड़े का पीछा किया और फिर वह छलांग मार कर घोड़े के पीठ पर जा बैठी। घोड़ा एक ड्रैगन में बदल गया और आकाश में उड़ गया। उसके चाचा ने जब अपने पत्र मे लिखा कि मा चौ का ख्याल रखना, उस सपने का राज थोडा खुला। मा का अर्थ घोड़ा होता है, और इसके अलावा, मा चौ सफ़ेद वस्त्र पहने हुए थे। आश्चर्य से भरे मन से, उसने उसे अपने घर में ठहरने की अनुमति दी। वह उसे दिन में तीन बार भरपेट खाना खिलाती और उसकी हर ज़रूरत का ध्यान रखती। कुछ दिन बाद कमांडेंट चांग की परिचारिका जब मोमो खरीदने उसकी दुकान पर आयी, उसने उस महिला के मार्फत संदेश भिजवाया, 'मेरे एक रिश्तेदार बहुत ऊंचे दर्जे के विद्वान हैं और अभी नौकरी की तलाश में हैं। अगर किसी राजनैतिक सलाहकार की जगह खाली हो, तो उनसे अधिक योग्य व्यक्ति आपको नहीं मिलेगा।'


उस समय भयंकर सूखा पड़ा था, और सम्राट थाय-जोंग ने देश के सभी बडे अधिकारियों को आदेश दिया था कि वे अपने-अपने क्षेत्र की स्थिति का विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें और साथ ही देश जिन समस्याओं से जूझ रहा है, उनके समाधान के लिये अपने सुझाव भेजें। कमांडेंट चांग हो एक ऐसे कुशल विद्वान की तलाश में थे जो उनका रिपोर्ट तैयार कर सके। मा चौ को उन्होंने अपना सलाहकार नियुक्त किया। मा चौ ने ऐसा रिपोर्ट लिखा कि सम्राट उसके एक-एक शब्द के सौन्दर्य और एक एक सुझाव मे परिलक्षित अद्भुत प्रज्ञा और दूरदर्शिता से अभिभूत हो गये। उन्होने कमांडेंट चांग को बुलाया और कहा, तुममें ऐसा रिपोर्ट लिखने की क्षमता नहीं, यह मुझे अच्छी तरह मालूम है। यह रिपोर्ट किसने लिखा? सम्राट ने अब जाना कि उनके साम्राज्य में मा चौ नामक दिव्य प्रतिभासंपन्न विद्वान है जो अब तक उपेक्षित रहा है, उन्होंने मा चौ का साक्षात्कार लिया। वे उसकी विद्या और वाग्मिता से इतना प्रभावित हुये कि तत्काल उसकी नियुक्ति प्रशासन नियंत्रण विभाग के निदेशक पद पर कर दी। कमांडेंट चांग को जब ज्ञात हुआ कि मा चौ मैडम वांग का सम्बन्धी नही है, उनके सौजन्य से दोनों का विवाह नियत हुआ। कुछ महीने बाद शिनफंग सराय का मालिक अपनी भतीजी की खोज-खबर लेने जब चांग-आन आया, यह जान कर वह बहुत खुश हुआ कि मा चौ ऊंचे सरकारी ओहदे पर हैं और उसकी भतीजी उनके साथ विवाह कर सुखमय जीवन व्यतीत कर रही है। मा चौ ने दिल खोल कर आदर-सत्कार किया और एक महीना साथ रहने के बाद घर लौटते समय, मा चौ ने एक हजार स्वर्ण मुद्राओं के उपहार के साथ सरायपाल को विदा किया।


एक कवि ने मा चौ पर एक कविता लिखी:


शराबियों की कतार से निकला एक अनोखा अधिकारी

इसमें मोमो दुकान मालकिन की भी भूमिका अति भारी।

सम्राट थाय-जोंग नहीं करते यदि योग्य प्रजाजन का सम्मान

देश के रत्न, गुदरी के लाल धूल मे जीते, मर जाते अनजान।

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