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मधुरेश की आलोचना पुस्तक ‘शिनाख़्त’ पर अमीर चंद वैश्य की समीक्षा

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चित्र : आलोचक मधुरेश हिन्दी साहित्य में उपन्यास की आलोचना कुछ गिने चुने आलोचकों द्वारा की गयी है। ऐसे आलोचकों में मधुरेश का नाम अग्रणी है। उपन्यास की आलोचना पर मधुरेश की ‘ शिनाख़्त ’ नाम से एक किताब आई है। इस किताब की एक पड़ताल की है अमीर चंद वैश्य ने। इस किताब के प्रकाशन (2012) के साथ ही मधुरेश की रचनाधर्मिता के पचास साल भी पूरे हो गए हैं। इस अवसर पर मधुरेश जी को बधाई देते हुए हम उनके दीर्घायु होने की कामना करते हैं।      उपन्यास की विश्वसनीय आलोचना: ‘ शिनाख़्त ’ अमीर चन्द वैश्य यशपाल-साहित्य के मर्मज्ञ और कथा-साहित्य के गंभीर अध्येता एवं समालोचक मधुरेश अब अखिल भारतीय कीर्ति अर्जित कर चुके हैं। उनका आलोचना-कर्म कथा-साहित्य तक परिसीमित नहीं है। गद्य की सभी विधाओं के क्षेत्र में उन्होंने आलोचनाएँ लिखी हैं। यद्यपि उनकी लेखनी ने काव्य-जगत् से दूरी बनाए रखी है , तथापि वह हिन्दी-अँग्रेजी के काव्य-संसार में रम चुके हैं। उर्दू शायरी से भी परिचित हैं। और संस्कृत काव्य-परंपरा से भी। संस्कृत न जानते हुए। उपन्यास विधा पर प्रकाशित ‘ शिनाख़्त ’   नामक ग्रन्थ उनकी औपन