वाँन गॉग की पेंटिंग्स पर आशीष मिश्र का आलेख

(चित्र : वान गाग)




तारपीन तेल में सूरज को घोला मैंने


आशीष मिश्र  



वान गाग के अन्य तमाम चित्रों के बजाय मुझेगेहूँ के खेत’ श्रृंखला के चित्र ज़्यादा आकर्षित करते हैं सम्भव है, इस इस आकर्षण के पीछे एक भारतीय किसान मन काम करता हो वान ने इस श्रृंखला के अधिकांश चित्र अपने जीवन के अंतिम दिनों में अर्ल और सेण्ट रेमी में बनाए थे, जब वह जीवन में सबसे ज़्यादा अकेला और टूटा हुआ (जिन्हें वह कला के लिए सर्वाधिक ज़रूरी चीज़ मानता है), फिर भी कहीं और गहराई से जीवन मूल से जुड़ा हुआ था यह वही समय है, जब वह महीनों तक सेण्ट रेमी के मानसिक अस्पताल में पड़ा रहा और आश्चर्यचकित कर देने वाली वाली गहराई उसके चित्रों पत्रों में मौजूद है यह सब उसके चित्रों में पाये जाने वाले गाढ़े विरोधी रंगों की तरह है, जो उसके चित्रों गहराई देता है और उसके जीवन को लीजेंड्री बना देता है, जिस परबेस्ट सेलरउपन्यास लिखा जाता है और प्रसिद्ध फिल्में बनती हैं



चित्रों में गेहूँ के खेत धीरे-धीरे उठते हुए पठार पर क्षितिज तक फ़ैले होते हैं इस भू-दृश्य में खेतों के बगल सुदूर तक जाती पहाड़ी दिखेगी उस समय लिखे पत्रों में बार-बार गेहूँ के खेतों का जिक्र करता है –‘गेहूँ के खेत, मुझे अपने आप में ही फ्रेम में जड़े चित्र लगते हैं।उसने बोआई से कटाई तक की विविध अवस्थाओं के चित्र बनाए हैं अधिकतर चित्र दिन के बिम्ब लिए हैं यहाँ गाढ़े पीले रंग में रचा सूरज हॉलो की तरह लगता है, एक दैवीय प्रभामंडल जिसके आलोक में समूचा जीवन चालित है इसके सामने फैला जीवन बेहद अस्थिर और गतिशील दिखाता है : हवा में अशांत समुद्र की तरह लहराते खेत, झुकी हुई बालियों के ऊपर पंख पसारे उड़ती वया वान इसे अपने ब्रश के विशिष्ट स्ट्रोक, डाटेड और लहरदार संचालन से रचने में सक्षम होते हैं आप देखेंगे कि इस तरह के कुछ प्रयोग उसके समकालीन चित्रकार पॉल सेजोने ने भी किया है पर वह उतना प्रभावपूर्ण नहीं है नीचे सबसे पहला चित्र सेजोने का है, आप तुलना कर सकते हैं -

 (सेजोने की पेंटिंग)





      वान द्वारा रचित गेहूँ के खेतों को कुछ समीक्षक मानव के जीवन चक्र की तरह पढ़ते हैं इस समझ को धर्म प्रचार से जुड़ा वान का जीवन आधार उपलब्ध कराता है यह विडम्बना ही है कि जिसे धर्म शिक्षा के काम से निकाला गया था, आज दुनिया उसे 19वीं शताब्दी के सबसे गहरे आध्यात्मिक पुरुषों में समझती है वैसे किसी भी समय में असामान्य प्रतिभा के साथ ऐसा ही होता है दुनिया हमेशा से अनन्यसामान्यों के हाथ में होती है वान अपनी बहन को लिखे पत्र में कहता है –“ईश्वर को जानने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप दुनिया की सारी चीजों से प्यार करें- दोस्तों से प्यार करें, पत्नी से प्यार करें, इसी तरह और भी चीजों से जिन्हें आप चाहते हैं सद्भावना, प्रतिभा और पूरी शिद्दत से जानना ईश्वर को जानना हैअपने अंतिम समय में वह इस बात को गहराई से महसूस करता है कि अमूर्त चिन्तन की अपनी सीमाएँ हैं इन्हीं पत्रों में वह लिखता है –“एक आदमी जिसे यह लगता है कि वह किसी चीज़ के बारे में ठीक से नहीं सोच सकता, ऐसे समय उन खेतों को देखना, जिनके ऊपर हमारा जीवन पलता है महत्त्वपूर्ण है




अगर आप ध्यान से देखें तो इन चित्रों में विवरण बहुत कम मिलेगा यहाँ लोकेल को ग्लोरीफ़ाई करने का कोई प्रयास नहीं मिलेगा ये चित्र अपने उद्देश्य में तो मनोरंजन के लिए, सजाने के लिए और ही कोई मनोवैज्ञानिक विवरण प्रस्तुत करते हैं इस सबके बजाय ये और गहरे जीवन, प्रकृति आध्यात्मिक अभिप्रायों को अभिव्यक्त करते हैं 

   




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