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जनवरी, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नारायण देसाई का आलेख 'गांधी और सुभाष : भिन्न मार्गों के सहयात्री'

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  महात्मा गांधी और सुभाष चन्द्र बोस भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के दो प्रमुख स्तम्भ रहे हैं। दोनों की प्रकृति, दोनों के सिद्धान्त अलग अलग थे, इसके बावजूद सुभाष के मन में गांधी जी के लिए काफी आदर था। कल ही के दिन गांधी जी को एक कट्टरवादी ने गोली मार कर हत्या कर दी थी।  नारायण देसाई (24 दिसम्बर 1924 - 15 मार्च 2015) एक प्रख्यात गाँधीवादी थे। वे गाँधी जी के निजी सचिव और उनके जीवनीकार महादेव देसाई के पुत्र थे। नारायण देसाई भूदान आंदोलन और सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन से जुड़े रहे थे और उन्हें "गाँधी कथा" के लिये भी जाना जाता है जो उन्होंने 2004 में शुरू की थी। नारायण देसाई गाँधी के आदर्शों पर अटूट श्रद्धा और विश्वास रखते थे। उन्होंने अपना जीवन महात्मा के बताये मार्ग पर व्यतीत किया और इन्ही आदर्शों का प्रसार करने में लगे रहे। देसाई गांधी शान्ति प्रतिष्ठान, गांधी विचार परिषद और गांधी स्मृति संस्थान से भी जुड़े रहे थे। इस आलेख को  समता मार्ग, जनवरी   24, 2023 से साभार लिया गया है। आइए, आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं नारायण देसाई का आलेख 'गांधी और सुभाष : भिन्न मार्गों के सहयात्री'। 

हेरम्ब चतुर्वेदी का आलेख 'गांधी की मृत्यु देखना चाहते थे औपनिवेशिक सत्ताधीश'

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  गाँधी जी ही ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को वास्तविक अर्थों में राष्ट्रीय बनाया। आन्दोलन शुरू करने के पहले उन्होंने गोखले की सलाह पर, रेलवे के थर्ड क्लास में बैठ कर समूचे भारत का दौरा किया और जनमानस को नजदीक से देखने जानने समझने की कवायद किया। इसके बाद गाँधी सचमुच भारतीय जन की आवाज बन गए। वे एक ऐसी अनिवार्य आवाज थे, जिसको दरकिनार कर पाना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं था। अंग्रेजी ताकत के लिए वे लगातार असहनीय बनते जा रहे थे। ब्रिटिश सत्ता उनके मौत की प्रतीक्षा कर रही थी। इक्कीस दिन के लंबे उपवास को बहत्तर वर्ष की आयु में अविश्वसनीय तरीके से पूरा कर उन्होंने ब्रिटिश मंसूबे पर पानी फेर दिया था। यह अलग बात है कि आज ही के दिन 1948 में वे अन्ततः अपने ही देश के एक हिन्दू कट्टरवादी की गोलियों के शिकार हो गए। आज के परिप्रेक्ष्य में गाँधी के समानान्तर गोडसे को परोसने की कोशिश की जा रही है। गोडसे को जबरन शहीद और महान बनाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन इतिहास की यही ताकत है कि उसे जबरिया नहीं बनाया जा सकता। वह तथ्यों के सहारे ही आगे बढ़ता है। गोडसे का राष्ट्रीय आन्दोलन में

राश कैरियर की कहानी, हिन्दी अनुवाद - विनोद दास

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  राश कैरियर    कथाकार और नाटककार राश कैरियर का जन्म 1937 में कनाडा में हुआ था। मोंट्रियल विश्वविद्यालय से एम . ए . किया। फिर पी - एच . डी . करने के पहले एक कॉलेज में दो वर्षों तक यूनानी संस्कृति के शिक्षक के रूप में कार्य किया। 1964 में कनाडा   लौट कर आये और मोंट्रियल विश्वविद्यालय में अध्यापन करने लगे। शुरुआत में कविताएँ भी लिखीं लेकिन मूलतः वह कथाकार और नाटककार थे। उनके कई उपन्यासों का नाट्य रूपान्तर भी किया गया और रंगमंच पर खेला भी गया।  यह कहानी उस हुनर की कहानी है जिसे हमारे पुरखों ने तमाम असफलताओं के बाद खोजा था। धरती के अंदर पानी की खोज ऐसी ही खोज थी जिसने मनुष्य को नदियों के किनारे से दूर हट कर जीने रहने की सुविधा प्रदान की। लेकिन समय बीतने के साथ हम उस प्रकृति से लगातार कटते चले गए जो इस हुनर के मूल में हुआ करती थी। राशन कैरियर ने अपनी इस उम्दा कहानी में मानवीयता के उस संस्पर्श को रेखांकित किया है जो दिनों दिन दुर्लभ होती जा रही है। आज पहली बार पर हम प्रस्तुत कर रहे हैं राश कैरियर की कहानी  पानी में खो