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पंकज मोहन का आलेख 'आथुनिक कोरियाई काव्य का विहंगावलोकन'

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  पंकज मोहन हर देश की अपनी विशिष्ट संस्कृति, परिवेश और परम्परा होती है। वहां के रचनाकार इसी के अनुकूल अपना साहित्य सृजन करते हैं। इस तरह वह साहित्य उस देश की संस्कृति और परम्परा को प्रतिबिम्बित करता है। प्रोफेसर पंकज मोहन कोरियाई इतिहास के विशेषज्ञ हैं। उनके अनुसार 'किम सोवल (1902-1934) को आधुनिक कोरियाई काव्य-जगत का महाप्राण कहा जाता है। जिनकी कविताओं में औपनिवेशिक कोरिया के आंसू और मुस्कान,  यथार्थ और स्वप्न झलकते हैं। उनका काव्य-संसार लोकधर्मी संवेदना से अनुप्राणित है। उनकी कविता में प्रकृति के सहज रूप के साथ-साथ प्रेम निरूपण भी है, जिसका मूल आधार लौकिक है, लेकिन यह प्रेम राष्ट्र के प्रत्येक तंतु मे भी प्रवाहित है'। किम-चौ हान ने किम सोवल की कविताओं का हिन्दी अनुवाद किया है। इसी क्रम में प्रोफेसर मोहन ने कोरियाई कविताओं के हिन्दी अनुवाद की समस्याओं के हवाले से महत्त्वपूर्ण और जरूरी बात प्रस्तुत किया है। बहरहाल अपने एक आलेख में पंकज मोहन ने आथुनिक कोरियाई काव्य का विहंगावलोकन किया है। आइए आज पहली बार की विशेष प्रस्तुति के अन्तर्गत पढ़ते हैं पंकज मोहन का आ...