दीपावली पर केंद्रित कविताएँ

दीपावली रोशनी का पर्व है। रोशनी जो अँधेरे में भी हमारी दृष्टि को देख पाने में सक्षम बनाती है। रोशनी जो हमारी सोच को एक नई दिशा देती है। मिथक यह है कि चौदह वर्ष का वनवास बिता कर आए राम का स्वागत अयोध्या के लोगों ने जोशो खरोश के साथ जिस दिन किया था, वह दीपावली का ही दिन है। समृद्ध लोगों के घर तो सालों साल जगमगाते हैं लेकिन वर्ष का यही एक दिन है जब एक आम आदमी भी कोशिश करता है कि उसका घर रोशनी से दीप्त हो। दीपावली के दिन लोग पटाखे बजाते हैं। इन पटाखों से पर्यावरण जिस तरह दूषित होता है, वह अत्यंत चिंताजनक है। यह पक्ष दीपावली के पर्व का विकृत रूप प्रदर्शित करता है। बहरहाल इस दीपावली को ले कर कवियों ने कई उम्दा कविताएँ लिखी हैं। दीपावली की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए आज पहली बार पर हम प्रस्तुत कर रहे हैं दीपावली पर केन्द्रित कुछ कविताएँ। नज़ीर बनारसी ये दीवाली है नज़ीर बनारसी मिरी साँसों को गीत और आत्मा को साज़ देती है ये दीवाली है सब को जीने का अंदाज़ देती है हृदय के द्वार पर रह रह के देता है कोई दस्तक बराबर ज़िंदगी आवाज़ पर आवाज़ देती है...