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सीरिया के कवि मुहम्मद अल मगूत की कविताएँ 

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  मुहम्मद अल मगूत     आम आदमी का जीवन प्रायः सामान्यता से जुड़ा होता है। वह सामान्यता जो उसके जीवन से जुड़ी होती है। वही सामान्यता खास बनाती है। आम आदमी को किसी विशिष्ट सुरक्षा की जरूरत नहीं होती। शासक वर्ग के लोग अपनी विशिष्टता और अभिजात्यता में कुछ इस कदर डूबे होते हैं कि आम वर्ग से दूर दिखाई पड़ते हैं। हालांकि आम के बल पर ही वे अपनी सत्ता प्राप्त करते हैं। सीरिया के कवि मुहम्मद अल मगूत की कविताएँ इस आम वर्ग के जीवन से जुड़ी कविताएँ हैं। मगूत की कविताओं का अनुवाद किया है प्रख्यात कवि, आलोचक और सम्पादक विनोद दास ने। तो आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं मुहम्मद अल मगूत की कविताएँ। सीरिया के कवि मुहम्मद अल मगूत की कविताएँ    अंग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास     दोपहर की धूप और छाया  दुनिया के सभी खेतों की  दो नन्हें होंठों से अनबन है  इतिहास की सभी राहों की  दो नन्हें पैरों से अनबन है। वे सफर पर रहते हैं  हम घर पर रहते हैं  वे फांसी के तख्ते के मालिक हैं  हमारे पास गर्दनें हैं  वे मोतियों के मालिक हैं  हमारे पास मस्से और चकत्ते हैं  उनके पास रात, सुबह और दोपहर है  हमारे पास चमड़ी और हड्डियाँ

असंग घोष की कविताएं

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  असंग घोष   वक्त की यह खूबी होती है कि वह हर पल परिवर्तित होता रहता है। एक पल के लिए भी वह थमता नहीं। किसी के लिए भी नहीं। यह वक्त का अपना अनुशासन है जिसका पालन वह स्वयं करता है। यह अलग बात है कि वक्त बदलने के साथ साथ दुनिया बदलती रहती है। परिस्थितियां बदलती रहती हैं, लोग बदलते रहते हैं। दुर्भाग्यवश हमारे यहां एक बड़ा तबका ऐसा है जिसके पास जीवन की आधारभूत सुविधाएं नहीं हैं। वह सम्मान चाहता है लेकिन हमारी सामाजिक व्यवस्था उसे वह सम्मान भी नहीं दे पाती, जिसका वह हकदार है। लेकिन उम्मीद वह चीज है जिसका दामन नहीं छोड़ा जा सकता। असंग घोष उम्मीद के कवि हैं। आज उनका जन्मदिन है। असंग जी को जन्मदिन की बधाई और शुभकामनाएं  देते हुए आज हम प्रस्तुत कर रहे हैं उनकी कुछ कविताएं। असंग घोष की कविताएं क्यों आते हैं सपने सपनों पर मेरा वश नहीं क्यों आते हैं ये बार-बार मैं इनसे मुक्त हो अपने पंख फैलाए स्वछन्द आकाश में परिन्दों की मानिंद उड़ना चाहता हूँ और उड़ते हुए अंततः विलीन हो जाना चाहता हूँ क्षितिज में दृष्टि से परे दिखाई देते अनंत में जहाँ धरती आकाश के मिलकर एक हो जाने का भ्रम है सपनों की तरह उईउस भ्र

सुधीर सुमन की कविताएं

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  सुधीर सुमन परिचय  सुधीर सुमन  मूल रूप से साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यकर्ता हैं। 'समकालीन जनमत' का लगभग 16 वर्षों तक संपादन, पत्रिका 'इस बार' में संपादन सहयोग, जनपथ के नागार्जुन अंक का अतिथि संपादन। कुबेर दत्त की पुस्तक 'एक पाठक के नोट्स ' और 'समय-जुलाहा' का संपादन। कुछ पुस्तकों की भूमिकाओं का लेखन। प्रभात खबर में 'ये फस्ल उमीदों की हमदम' नाम से साप्ताहिक काॅलम का लेखन। 'नई दुनिया' के स्तंभ 'आईना' और जनसत्ता के 'दुनिया मेरे आगे' में लेखन। युवा नीति, हिरावल और भूमिका के लगभग 20 मंचीय और नुक्कड़ नाटकों में अभिनय। नुक्कड़ नाटकों और बाल नाटकों का लेखन। लगभग अस्सी समीक्षाएं, आलोचनात्मक लेख और समसामयिक विषयों पर आलेख और टिप्पणियां विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कविताएं प्रभात खबर, समकालीन कविता और संप्रति पथ में प्रकाशित तथा आकाशवाणी दिल्ली, रेडियो जापान और दूरदर्शन पटना से प्रसारित। सांस्कृतिक रिपोर्ट लेखन में विशेष रूचि, एक पुस्तक का प्रकाशन संभावित। लंबे समय तक जन संस्कृति मंच, बिहार के सचिव की जिम्मेदारी निभायी। दूरदर्श