संदीप तिवारी की कविताएँ

संदीप तिवारी रचनाकार जब केवल इस बिना पर अपने को विशिष्ट समझने लगता है कि वह लिखता है तो अपने को गलतफहमी में डाल रहा होता है. अपने को विशिष्ट समझना हमको सामान्य से बिल्कुल अलग कर देता है. और जब इतने विशिष्ट हो जाएँ कि आम लोगों, आम जनजीवन को हिकारत की नजर से देखने लगें तब रचना भी आपसे उतनी ही दूरी बना लेती है. किताबों से अलग हट कर भी एक बड़ी दुनिया है. वह दुनिया जिससे हमें अपने लेखन का खाद-पानी अबाध रूप से मिलता रहता है. संदीप तिवारी युवा कवि हैं. इनकी कविताओं में किताबों के बाहर जिन्दगी से टकरा कर कविताओं को पाने की जद्दोजहद स्पष्ट तौर पर दिखायी पड़ती है. तो आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं युवा कवि संदीप तिवारी की कविताएँ संदीप तिवारी की कविताएँ बुरा मत मानना बुरा मत मानना , कि लाखों के तादाद में पैदा कर रही हैं बेरोजगार , किताबें... बुरा मत मानना बुरा मत मानना , कि ख़यालों की दुनिया में पहुंचा कर एक जीती-जागती दुनिया से हमें अलग कर रही हैं , किताबें.... बुरा म...