शैलेन्द्र चौहान के कविता संग्रह की रामदुलारी शर्मा द्वारा की गई समीक्षा 'आत्ममुग्धता से दूर : सीने में फांस की तरह'
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शैलेन्द्र चौहान का व्यक्तित्व बहुआयामी है। कवि, आलोचक, सम्पादक की भूमिका में वे ख्यात हैं। शैलेन्द्र जी जनता के पक्ष में खड़े रहने वाले कवि हैं। उनकी प्रतिबद्धता उस जनता के लिए है जो अक्सर राजनीतिज्ञों और सत्ताधारियों के बहकावे में आ जाती है। लोकतन्त्र के लिए जनता का सचेत और जागरूक रहना आवश्यक होता है। हमारे नेता चुनाव के वक्त जनता को तमाम तरह के लोभ लालच में फांसने का प्रयत्न करते हैं और प्रायः सफल भी रहते हैं। इसीलिए हमारा लोकतन्त्र उन सपनों को पूरा नहीं कर सका जो हमारे स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों ने आजादी की लड़ाई के वक्त देखे थे। शैलेन्द्र चौहान जनता को उन चालाकियों से अवगत कराते हैं। हाल ही में न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन से उनका एक कविता संग्रह "सीने में फांस की तरह" प्रकाशित हुआ है। इस संग्रह की समीक्षा लिखी है रामदुलारी शर्मा ने। तो आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं शैलेन्द्र चौहान के कविता संग्रह "सीने में फांस की तरह" की रामदुलारी शर्मा द्वारा की गई समीक्षा 'आत्ममुग्धता से दूर : सीने में फांस की तरह'। आत्ममुग्धता से दूर : सीने में फांस की तरह रामद