रणेन्द्र जी से प्रमोद मीणा की बातचीत

रणेन्द्र जी रणेन्द्र का जन्म 10 फरवरी 1960 को बिहार के नालंदा जिले में एक निम्नवर्गीय परिवार में हुआ। अपनी रचनाधर्मिता के द्वारा रणेन्द्र ने साहित्यिक क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई। अपने शब्दों से ग्रामीणों इलाकों की दास्तां बुनने वाले रणेंद्र अपने पहले ही उपन्यास ' ग्लोबल गांव के देवता ' से साहित्य जगत में चर्चा में आ गए थे। इसके बाद ' गायब होता देश ' से इन्होंने अपनी रचनाधर्मिता का लोहा मनवाया। उपन्यास के अलावा इनके दो कहानी संग्रह ' रात बाकी ' और ' छप्पन छुरी बहत्तर पेंच '' भी प्रकाशित हो चुका है। कहानी और उपन्यास के साथ इन्होंने कविताएं भी लिखी हैं। ‘ थोड़ा सा स्त्री होना चाहता हूँ ’ आपका कविता संकलन है। ‘ कांची ’ नामक त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका का सम्पादन भी इन्होंने कुछ साल किया था। इनका नया उपन्यास ‘ गूँगी रुलाई का कोरस ’ राजकमल प्रकाशन से अभी - अभी ...