संदेश

रामनिहाल गुंजन लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कौशल किशोर का स्मृति लेख 'रामनिहाल गुंजन : रचना विवेक के अप्रतिम उदाहरण'

चित्र
राम निहाल गुंजन रामनिहाल गुंजन का नाम आते ही हमारे मन मस्तिष्क में एक ऐसे प्रतिबद्ध रचनाकार की छवि उभरती है जिन्होंने आजीवन उन रचनाकारों को रेखांकित करने के लिए काम किया, जिनकी सुध किसी ने नहीं ली थी। यह काम उन्होंने बतौर एक जरूरी लेखकीय फर्ज के किया। आज जब सब अपनी अपनी ढपली, अपना अपना राग अलाप रहे हैं, तब गुंजन जी के इस लेखकीय महत्त्व का हम अनुमान लगा सकते हैं। गुंजन जी साहित्य की प्रगतिशील-क्रांतिकारी विरासत के प्रति अटूट आस्था के प्रतिनिधि थे। साथ ही वे विश्व साहित्य और हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील-जनवादी और क्रांतिकारी विरासत को हिंदी आलोचना में दर्ज करने वाले आलोचक रहे। उनकी आलोचना-दृष्टि मुख्यतः प्रगतिशील-जनवादी-नवजनवादी कविताओं की वैचारिकी के निरूपण पर ही ज्यादा केंद्रित रही। भोजपुर के सामंतवाद विरोधी किसान आंदोलन और नवजनवादी सांस्कृतिक मोर्चा और जन संस्कृति मंच के साथ उनका आजीवन गहरा जुड़ाव रहा। अधिकांश रचनाकारों की हसरत नामी गिरामी पत्रिकाओं में छपने की होती है। इसके विपरीत गुंजन जी दूर दराज से छपने वाली संसाधनविहीन लघु पत्रिकाओं के लिए लगातार लिखते रहे। यही नहीं उन्होंने लघु पत...