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इतालवी कवयित्री लिडिया चिआरेली की कविताएं

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  लिडिया चिआरेली   दुनिया का सबसे खूबसूरत जलप्रपात है : नियाग्रा फाल्स। यह  जलप्रपात अमेरिका के न्यूयॉर्क और कनाडा के ओंटारियो प्रांतों के मध्य अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बहने वाली नियाग्रा नदी पर अवस्थित है। पानी की प्राकृतिक खूबसूरती का अप्रतिम उदाहरण है यह जलप्रपात। बात प्रकृति की हो और वह कवि की नज़रों से ओझल रह जाए ऐसा नामुमकिन ही है। लीडिया चिआरेली ने नियाग्रा फाल्स पर एक उम्दा कविता 'नायागरा' नाम से लिखी है।  लीडिया चिआरेली  इटली की चर्चित कवयित्री हैं। इनकी कविताओं का अनुवाद किया है हिन्दी की कवयित्री पंखुरी सिन्हा ने। तो आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं  लीडिया चिआरेली की कविताएँ। चर्चित   इतालवी   कवयित्री  लिडिया   चिआरेली की कविताएं अनुवाद  -  पंखुरी   सिन्हा नायागरा     कुछ भी नहीं होता   पानी से ज़्यादा नर्म   मुलायम या लचीला   और फिर भी , कुछ नहीं   कर सकता मुकाबला उसकी ताकत का !  --- लाओ सू ( जन्म 604 बी सी )     हम आगे बढ़ते हैं नदी में   नाँव डोलती है खदबदाते   फुफकारते पानी के ऊपर   और यह महसूस होता है   लहरो

कृष्णमोहन का आलेख 'इक़बाल नेहरू और बंटवारा'

इक़बाल, नेहरू और बंटवारा कृष्णमोहन 'समयांतर' के जनवरी 2022 अंक में छपे अपने इस लेख को यहाँ फ़ेसबुक के मित्रों के लिए क्रमशः प्रस्तुत कर रहा हूँ।)    (1)    देश के बंटवारे को गुज़रे एक अर्सा हो गया था, जब विगत सदी के आख़िरी दशक में इसके प्रति नई जिज्ञासा हिंदी-उर्दू भाषी समाज में दिखाई पड़ी थी। संतोष की बात है कि वह सिलसिला आगे बढ़ता रहा। अब हम बंटवारे के इतिहास की छानबीन में कुछ और गहरे उतरने की ज़रूरत महसूस कर रहे हैं। उर्दू के महान शायर मुहम्मद इक़बाल के विचारों की भूमिका इस प्रक्रिया में क्या थी, यह सवाल अक्सर हिंदी समाज के बाशिंदों के दिलो-दिमाग़ में भी उठता रहता है। हाल ही में हिंदी की एक प्रमुख पत्रिका 'आलोचना' ने बंटवारे पर केंद्रित अपने दो अंक 59 और 60 निकाले हैं। इसके पहले भाग यानी 59वें अंक में इसके संपादक आशुतोष कुमार का एक लंबा संपादकीय-लेख छपा है। इस लेख की ख़ासियत यह है कि इसमें बंटवारे, और उसमें इक़बाल की भूमिका के संदर्भ में चली पुरानी बहसों से लेकर नवीनतम रणनीतियों की झलक मिल जाती है। किसी भी समाज में पैदा होने वाले विचारों से जूझे बिना उनमें कोई नया उन्मेष नहीं