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रेखा चमोली की 'मेरी स्कूल डायरी'।

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  किसी भी समय और समाज में शिक्षक की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। वह पीढ़ियों को बनाने का काम करता है। एक चीनी कहावत याद आ रही है जिसमें यह कहा गया है : ' एक साल के लिए निवेश करना है तो फसल बोइए। दस साल के लिए निवेश करना है तो पेड़ लगाइए। सौ साल के लिए निवेश करना है तो बच्चों को पढ़ाइए। ' बेहतर शिक्षक बच्चों को पढ़ाने का ही काम नहीं करता बल्कि उसे रचनात्मक बनाने का प्रयास भी करता है। रचनात्मकता बच्चों को मौलिक सोच के लिए प्रेरित करती है। कवयित्री रेखा चमोली एक शिक्षक भी हैं। शिक्षण का काम उन्होंने दायित्वपूर्ण ढंग से किया है। इसी क्रम में रेखा चमोली ने बड़े रोचक तरीके से ' मेरी स्कूल डायरी ' लिखी है जो अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। यह डायरी रोचक है और इसे पढ़ते हुए एक उपन्यास जैसा ही आभास होता है। आज पहली बार पर प्रस्तुत है रेखा चमोली की ' मेरी स्कूल डायरी ' ।   मेरी स्कूल डायरी      js[kk peksyh      प्राथमिक शाला में रचनात्मक लेखन का आशय     03 अगस्त 2011   आज से प्रधानाध्यापिका दीदी श्रीमती रजनी बलू...

रेखा चमोली की कविताएँ

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रेखा चमोली इधर के जिन कवियों की कविता में उतरोत्तर विकास दिखायी पड़ता है उसमें रेखा चमोली का नाम प्रमुख रूप से लिया जा सकता है. रेखा की नयी कविताएँ इसकी एक बानगी हैं जिनमें काव्यत्व के साथ उनकी दृष्टि सम्पन्नता सहज ही देखी जा सकती है. आज जब जीवन की दुश्वारियां बढीं हैं. हत्या और आत्महत्या की खबरें आम हैं ऐसे में रेखा की ‘आत्महत्या माय फुट’ कविता हमें आश्वस्त करती है कि (स्वयं रेखा चमोली के ही शब्दों में कहें तो) ‘ जीना कितना भी दुश्वार क्यों न हो/ मरने से थोड़ा सा हसीन तो होता ही है’ जीवन हमेशा बड़ा होता है. यह अलग बात है कि आज इसी जीवन के लिए जाति, धर्म, भाषा आदि के नाम पर खतरे पैदा किए जा रहे हैं. ऐसे में चंडीदास की पंक्ति याद आती है ‘सबसे ऊपर मनुष्य धर्म है/ उसके ऊपर कुछ भी नहीं.’ आज पहली बार पर रेखा चमोली की कुछ नयी और तारो-ताजा कविताएँ प्रस्तुत हैं. तो आइए आज पढ़ते हैं रेखा चमोली की कविताएँ.   रेखा चमोली की कविताएँ                          ...