क्रिस्टोफ़ी जेफ़रेलो का आलेख 'भीमा कोरेगाँव के आईने में'
इंडियन एक्स्प्रेस में 29 अक्टूबर 2020 को छपे इस लेख का अनुवाद युवा आलोचक संजीव कुमार ने किया है। भीमा कोरेगाँव मामले पर यह एक उम्दा आलेख है, पूरे मुद्दे को एक जगह सिलसिलेवार दर्ज करने वाला। आज पहली बार पर प्रस्तुत है यह आलेख। ------------------------------------------------------------------- भीमा कोरेगाँव के आईने में क्रिस्टोफ़ी जेफ़रेलो अनुवाद : संजीव कुमार 23 अक्तूबर को 83 वर्षीय पादरी स्टैन स्वामी को भीमा कोरेगाँव मामले में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। यह एक ऐसे मामले में की गई सबसे ताज़ा गिरफ़्तारी है जो भारतीय राजनय और देश के पुलिस बल में एक अहम बदलाव को दिखलाता है। भीमा कोरेगाँव महाराष्ट्र के पुणे ज़िले का एक गाँव है जहाँ 1818 में ब्रिटिश फ़ौज के दलित सैनिकों, मुख्यतः महारों, ने स्थानीय ब्राह्मण शासक पेशवा बाजीराव द्वितीय की टुकड़ियों को बुरी तरह से परास्त किया था। 2018 की पहली जनवरी को हर साल की तरह महाराष्ट्र के दलित, मुख्यतः महार, इस घटना की सालगिरह मनाने के लिए इकट्ठा हुए। इसकी पूर्वसन्ध्या पर पुणे में हुई एलगार परिषद में, जिसके आयोजकों में दो सेवानिवृत्त न्यायाधीश भी शामिल थे,...