संदेश

राहुल राजेश लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

राहुल राजेश के कविता संग्रह पर कुलदीप शर्मा की समीक्षा 'कितनी जरूरी है मुस्कान!'

चित्र
  राहुल राजेश हमारे समय के चर्चित कवि हैं। उनके पास कविता के सघन बिम्ब हैं जो और कवियों से अलग हैं। कम से कम शब्दों में बातों को कह जाना ही कवि की कारीगरी होती है। कुलदीप शर्मा उनके बारे में लिखते हैं 'अपनी कविताओं में राहुल कहे से ज्यादा अनकहा छोड़ देते हैं। कविता में इस तरह से अनकहा छोड़ देने की कला कविता को ऐसी ताकत देती है कि अनकहा जो छूट जाता है, वह कहे से ज्यादा मुखर हो उठता है। इस छूट गये के कारण ही कविता की वीथिका में नये अर्थ की खोज की शुरुआत होती है। यहीं से कविता का पाठक के साथ एक संवेदनात्मक रिश्ता बनता है। पाठक के लिए यह रिश्ता बेहद खास होता है, आत्मीयता से लबालब।' राहुल राजेश का तीसरा कविता संग्रह 'मुस्कान क्षण भर' हाल ही में प्रकाशित हुआ है। कवि को संग्रह की बधाई एवम शुभकामनाएं। कुलदीप शर्मा ने इस संग्रह पर समीक्षा लिखी है। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं  राहुल राजेश के कविता संग्रह  'मुस्कान क्षण भर'  पर कुलदीप शर्मा की समीक्षा 'कितनी जरूरी है मुस्कान!'   समीक्षा 'कितनी जरूरी है मुस्कान!' ('मुस्कान क्षण भर' पर बात) कुलदीप...

रमाकांत नीलकंठ का समीक्षात्मक आलेख 'अल्पमत स्वर का लोक की दृष्टि से बहुमत विस्तार'

चित्र
  नेपोलियन बोनापार्ट ने एक बार कहा था यदि रूसो नहीं हुआ होता तो फ्रांसीसी क्रान्ति नहीं हुई होती। नेपोलियन के इस वक्तव्य से हम रचना की अहमियत को समझ सकते हैं। टॉमस पेन की किताब 'कॉमन सेंस' ने कुछ इसी तरह की भूमिका अमरीकी क्रान्ति के सन्दर्भ में निभाई थी। आमतौर पर कविता से लोग तमाम तरह की अपेक्षाएं पाल लेते हैं। वैसे सच तो यही है कि कोई भी रचना सीधे तौर पर क्रान्ति का कारक नहीं बनती, बल्कि वह क्रान्ति यानी कि बदलाव का रास्ता तैयार करती है। कवि राहुल राजेश का मानना है कि "क्रांति का सीधा और सबसे सटीक अर्थ है बदलाव। और यह बदलाव कविता से नहीं बल्कि आपसे आएगी। आपकी कविता से नहीं वरन् आपके आचरण से, आपके चरित्र से, आपके जीवन से आएगी। …और सबसे सच्चे अर्थों में यही क्रांति है। और अधिक सही कहें तो यह क्रांति नहीं, अन्त:क्रांति है।" रमाकांत नीलकंठ का मानना है कि राहुल राजेश अन्त:क्रांति के वादी हैं। कथित रक्त क्रांति के नहीं। वह गांधी के करीब हैं, मार्क्स के नहीं। यद्यपि वह हैं अपनी तरह के। राहुल राजेश का हाल ही में तीसरा कविता संग्रह 'मुस्कान क्षण भर' प्रकाशित हुआ है। इ...

राहुल राजेश की कविताएँ

चित्र
  राहुल राजेश  स्त्री होना अपने आप में कई समस्याओं को रेखांकित कर देना है। लेकिन तमाम समस्याओं के बीच ही स्त्री ने आज अपने को साबित किया है। जीवन के हर क्षेत्र में उनका सार्थक हस्तक्षेप दिखाई पड़ा है। स्त्री होने का सम्बल उनमें सबसे ज्यादा है। राहुल राजेश हमारे समय के चर्चित कवि हैं। कविता अपने समय का प्रतिपक्ष रचती है लेकिन राहुल कविता का एक पक्ष रचते हैं। उनकी छोटी कविताएं मारक हैं। खासकर स्त्रियों के सन्दर्भ में उन्होंने जो कविताएं लिखी हैं, वे सोचने के लिए मजबूर करती हैं। ब्लॉग पर हम पूर्व में भी राहुल की कविताएं पढ़ चुके हैं। आइए एक बार फिर आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं राहुल राजेश की कुछ नई कविताएं। राहुल राजेश की कविताएँ मुर्दा आदमी हाँ, मैं मुर्दा आदमी हूँ मुझ पर कोई असर नहीं पड़ता जैसे गिरिजा टिक्कू को नोंच-खंसोट कर आरे से दो फाँक चीर देने से तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ा था हाँ, मुझमें नहीं जगती न संवेदना, न घृणा, न पीड़ा देख कर कोई शर्मनाक घटना जैसे तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ा देख कर वह वीभत्स दृश्य जिसमें उस कम उम्र लड़की को पहले घुटनों पर गिराया गया और फिर दनदनाते हुए ल...

कपिलदेव त्रिपाठी का आलेख 'राहुल राजेश की कविताएँ : जैसे स्वच्छ नदी की शांत धारा में नौकायन'

चित्र
  राहुल राजेश राहुल राजेश हमारे समय के महत्वपूर्ण कवि हैं। उनकी कविताएं जमीन से जुड़ी हुई वे कविताएं हैं जिन्हें पढ़ते हुए हम उस में खुद को पाते हैं, खुद की जीवन स्थितियों को पाते हैं और खुद की समस्याओं को पाते हैं। उनके अभी तक तीन संग्रह प्रकाशित हैं। सिर्फ़ घास नहीं’ (सन् 2013) में  प्रकाशित हुआ था। ‘क्या हुआ जो’ (2016), और ‘मुस्कान क्षण भर’  (2021) में प्रकाशित हुए और चर्चा के केन्द्र में रहे। आलोचक कपिलदेव त्रिपाठी ने राहुल के तीनों कविता संग्रहों के हवाले से उनका मूल्यांकन किया है। आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं कपिलदेव त्रिपाठी का आलोचनात्मक आलेख 'राहुल राजेश की कविताएँ : जैसे स्वच्छ नदी की शांत धारा में नौकायन'।   राहुल राजेश की कविताएँ : जैसे स्वच्छ नदी की शांत धारा में नौकायन कपिलदेव त्रिपाठी   इक्कीसवीं सदी में प्रकाश में आये हिंदी के युवा कवियों में राहुल राजेश सर्वथा नयी ऊष्मा से संपन्न एक प्रतिभाशाली कवि हैं। बीते आठ सालों में उनके तीन संग्रह आ चुके हैं। पहला , ‘ सिर्फ़ घास नहीं ’ सन् 2013 में साहित्य अकादेमी से प्रकाशित हुआ था। ‘ क्या हुआ जो ’ और ‘ ...