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अनिल अनलहातु की कविताएं

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अनिल अनलहातु  आज की कविता उन चिंताओं से दो चार है जो समूची मानवता के लिए लगातार खतरा बनी हुई है। स्थानीय लगती हुई यह चिन्ता वैश्विक स्वरूप में दिखाई पड़ती है। यानी कि समूचे विश्व की समस्या अब स्थानीय हो गई है। इन्हीं अर्थों में लगातार बदलते संदर्भों और सवालों से आज की कविता मुखातिब है। कवि को स्थानीय विडंबनाओं के साथ वैश्विक विडंबनाओं से परिचित होना ही होगा तभी उसकी कविता समय के साथ नजर आएगी। अनिल  अनलहातु हमारे समय के सजग कवि हैं जो इस बात से भलीभांति वाकिफ हैं कि यह समय इतना खौफनाक है कि ' कहीं भी, किसी भी समय/ हो सकती है लिंचिंग'। आदमी जिस क्षण भीड़ में तब्दील हो जाता है अपना विवेक, अपनी संवेदना गिरवी रख देता है। दुखद है कि दुनिया के तमाम लोकतंत्र भी उस वोट के लिए भीड़ में तब्दील होते जा रहे हैं जो उसे सत्ता के शिखर तक पहुंचाने की ताकत रखता है। आज सब गड्ड मड्ड हो गया है। कवि इस बात से भी अवगत है कि 'हत्यारा  ‘डोमा जी उस्ताद’/ संसद के गलियारों में,/ विश्व शांति स्थापना/ की बहस में शरीक/' मैत्रेय बुद्ध' बना हुआ है।' अब न्याय की उम्मीद किससे की जाए। आइ...

अनिल सिंह अनलहातु की कविताएँ

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अनिल सिंह अनलहातु जन्म –   बिहार के भोजपुर(आरा) जिले के बड़का लौहर-फरना गाँव में दिसंबर   1972   शिक्षा –   बी.टेक. , खनन अभियंत्रण- इन्डियन स्कूल ऑफ़ माइंस , धनबाद ,                कम्प्यूटर साइंस में डिप्लोमा , प्रबंधन में   सर्टिफिकेट कोर्स. प्रकाशन – साठ – सत्तर कवितायें , वैचारिक लेख , समीक्षाएं एवं आलोचनात्मक लेख   विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित. “ कविता-इण्डिया ”, ” पोएट्री लन्दन ” , “ संवेदना ”, “ पोएट ”, “ कविता-नेस्ट” आदि अंग्रेजी की पत्रिकाओं एवं वेब पत्रिकाओं में अंग्रेजी कवितायें प्रकाशित.    “ तूतनखामेन खामोश क्यों है ” कविता संग्रह प्रेस में. पुरस्कार – “ कल के लिए ” द्वारा मुक्तिबोध   स्मृति   कविता   पुरस्कार , अखिल भारतीय हिंदी सेवी   संस्थान , इलाहाबाद द्वारा “ राष्ट्रभाषा गौरव “ पुरस्कार. आई.आई.टी. कानपुर द्वारा हिंदी में वैज्ञानिक लेखन पुरस्कार     संप्रति –    के...