ललन चतुर्वेदी के कविता संग्रह पर विनीता बाडमेरा की समीक्षा
कविता लिखना जितना आसान समझा जाता है, उतना होता नहीं। कविता जीवन का निचोड़ होती है। यह जीवन को सूक्ष्म और संवेदनशील दृष्टि से देखने की वह कला होती है, जिसे शब्दबद्ध करने का हुनर सिर्फ और सिर्फ कवि ही जानता है। ललन चतुर्वेदी हमारे समय के महत्त्वपूर्ण कवि हैं। शोरोगुल से दूर वे कविताएं लिखते रहे। हाल ही में उनका पहला कविता संग्रह प्रकाशित हुआ है “यह देवताओं के सोने का समय है”। इस संग्रह की समीक्षा लिखी है विनीता बाडमेरा ने। तो आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं ललन चतुर्वेदी के कविता संग्रह पर विनी आईता बाडमेरा की यह समीक्षा। एक ही समय सबके लिए समान नहीं होता विनीता बाडमेरा मुझे कई बार लगता है कहानी से कविता लिखना अधिक कठिन है क्योंकि बहुत कम शब्दों में अपने मन की बात कहना किसी कवि के लिए आसान नहीं होता है। न जाने कितने दिनों की नींद और जाग मिल कर एक कविता रचती है। इन दिनों कुछ ऐसी ही नींद और जाग से मिल कर कविताएं पढ़ी, ललन चतुर्वेदी जी की किताब। “यह देवताओं के सोने का समय है” से। ललन जी कविता रचते नहीं जीते हैं। उनकी कविताएं भाषाई मकड़जाल से दूर कुछ ऐसा बुनती है कि हम हतप्र