येव्गेनी येव्तुशेंको की कविताएँ

येव्गेनी येव्तुशेंको केदार नाथ सिंह ने अपनी गद्य की किताब ‘कब्रिस्तान में पंचायत’ में येव्गेनी येव्तुशेंको की कविताओं का जिक्र किया है. ये कविताएँ उन्हें अनिल जनविजय ने उपलब्ध करायीं थीं. केदार जी अपने एक आलेख में कहते हैं कि ख्रुश्चेव के बाद के परिवर्तन की आवाज को येव्तुशेंको की कविताओं में स्पष्ट रूप से सुना जा सकता है.इनकी आवाज को पाश्चात्य जगत में क्रुद्ध युवा पीढ़ी के पर्याय के रूप में देखा-सराहा गया. प्रारम्भ में येव्तुशेंकी मूलतः मायकोव्स्की के प्रशंसक थे पर बाद के दिनों में वे ऐसी दिशा में बढे जिसमें कविता क्षीण होती गयी और उनका आलोचनात्मक तेवर अधिक मुखर हुआ. मैंने अनिल जी से येव्तुशेंको की कुछ ऐसी कविताएँ भेजने का अनुरोध किया, जिससे हिन्दी समाज परिचित नहीं है. अनिल जनविजय के सुघड भावानुवाद ने येव्तुशेंको की कविता को जैसे जस का तस प्रस्तुत कर दिया है. तो आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं रुसी कवि येव्तुशेंको की कविताएँ . येव्गेनी येव्तुशेंको की कविताएँ (मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय) ...