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परांस-3 : विकास डोगरा की कविताएँ,

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  कमल जीत चौधरी संवेदना को सामान्यतया हृदय से जोड़ने की परम्परा रही है। संवेदना जोड़ने का काम करती है। ऐसे लोग अक्सर ठग लिए जाते हैं लेकिन किसी को ठगते नहीं। इसके इतर कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो दिल नहीं दिमाग से काम करते हैं। दिमाग के पास संवेदना के लिए जगह नहीं होती। वह तो  बहुत सोच समझ कर नाप तौल कर काम करने का आदी होता है। ऐसे लोग प्रायः अपने हित के लिए काम करते हैं। इसी क्रम में वे हृदयहीनता का परिचय भी देते हैं। विकास डोगरा न केवल एक उम्दा फोटोग्राफर हैं बल्कि बेहतरीन कवि भी हैं। परांस-3 के अन्तर्गत आज हम  विकास डोगरा की कविताएं प्रस्तुत कर रहे हैं। पिछले अप्रैल से कवि कमल जीत चौधरी जम्मू कश्मीर के कवियों को सामने लाने का दायित्व संभाल रहे हैं। इस शृंखला को उन्होंने जम्मू अंचल का एक प्यारा सा नाम दिया है 'परांस'। परांस को हम हर महीने के तीसरे रविवार को प्रस्तुत कर रहे हैं। इस कॉलम के अन्तर्गत अभी तक हम अमिता मेहता और कुमार कृष्ण शर्मा की कविताएं प्रस्तुत कर चुके हैं। आज हम तीसरे कवि विकास डोगरा की कविताएं प्रस्तुत कर रहे हैं। कॉलम के अन्तर्गत विकास की कविताओं पर...

मनोज शर्मा के काव्य कर्म पर कमलजीत चौधरी का आलेख 'मील पत्थर बुला रहा है :सामूहिक सपनों का माइलस्टोन'।

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  हिन्दी कविता की अनेक धाराएँ एक ही समय में प्रवहित और विकसित होती रही हैं। इनमें से एक धारा उस प्रगतिशील धारा से जुड़ी हुई है , जो नक्सलवाड़ी किसान आन्दोलन से और प्रखर हुई। इसने न केवल शासन सत्ता को चुनौती दी बल्कि आम आदमी के हको हुकूक की भी बात की। इसने दुनिया को तर्क और ज्ञान के आलोक में देखने समझने की तमीज विकसित की। मनोज शर्मा ऐसे ही महत्त्वपूर्ण कवि हैं जिनका अधिकांश समय जम्मू में बीता है। इनकी कविताओं का बीज और इनका काव्य संस्कार सामूहिक जन आंदोलनों के साथ विकसित हुआ है। कवि कमलजीत चौधरी ने मनोज शर्मा के कविता कर्म की आलोचनात्मक पड़ताल की है। आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं मनोज शर्मा के काव्य कर्म पर कमलजीत चौधरी का आलेख ' मील पत्थर बुला रहा है : सामूहिक सपनों का माइलस्टोन ' ।     मील पत्थर बुला रहा है : सामूहिक सपनों का माइलस्टोन         कमल जीत चौधरी       हिन्दी कवित...