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आनंद गुप्ता की समीक्षा 'स्मृति, संबंध और समय के बीच : गौरव पाण्डेय की कविताओं का मार्मिक संसार'

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  कविता अन्य विधाओं से इसलिए अलहदा दिखाई पड़ती है कि वह दिल से लिखी जाती है। उसे लिखने में जब कभी दिमाग का इस्तेमाल किया जाता है वह निबन्ध का शक्ल अख्तियार कर लेती है। युवा कवि गौरव पाण्डेय ऐसे ही कवि हैं जिनकी कविताओं में घनीभूत संवेदना दिखाई पड़ती है। वे कविता लिखने के लिए अतिरिक्त प्रयास नहीं करते बल्कि कविता उनके पास आ कर खुद को लिखवा लेती है। यही किसी भी कवि का हासिल होता है। गौरव का हाल ही में एक कविता संग्रह आया है 'स्मृतियों के बीच घिरी है पृथ्वी'। इस संग्रह की समीक्षा लिखते हुए आनन्द गुप्ता उचित ही लिखते हैं 'गौरव पाण्डेय की कविताएँ पाठक से बौद्धिक मुद्रा में संवाद नहीं करतीं। वे पाठक को आमंत्रित करती हैं—जैसे कोई पुराना दोस्त देर रात साथ बैठ कर चुपचाप कुछ साझा कर रहा हो। उनकी शैली सहज, आत्मीय और विचारोत्तेजक है। वे सीधे मुद्दे पर आते हैं और अपनी बात को स्पष्टता से रखते हैं। उनकी शैली में कहीं भी बनावटीपन या दिखावा नहीं है। कविताओं में एक प्रकार का सीधापन और ईमानदारी है; चाहे वह बेरोजगारी का दर्द हो या माँ की आकांक्षाएँ, कवि अपने भावों को बिना किसी लाग-लपेट के व्यक...

चार दिवसीय साहित्योत्सव 'लिटरेरिया' की एक रपट

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अभी हाल ही में कोलकाता में 1 2 से 15 अक्टूबर 2017 के बीच चार दिवसीय साहित्योत्सव ' लिटरेरिया ' का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम की एक विस्तृत रपट भेजी है युवा कवि आनंद गुप्ता ने । तो आइए आज पहली बार पढ़ते हैं यह रपट ।       नीलाम्बर द्वारा ' लिटरेरिया ' साहित्योत्सव का आयोजन प्रस्तुति : आनन्द गुप्ता  'लिटरेरिया में शामिल प्रतिभागियों की एक सामूहिक तस्वीर  कोलकाता की साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था नीलाम्बर द्वारा 12 से 15 अक्टूबर 2017 के बीच चार दिवसीय साहित्योत्सव ' लिटरेरिया ' का शानदार आयोजन किया गया । गौरतलब है कि इस संस्था ने इस उत्सव के लिए किसी भी प्रकार का सरकारी या कॉरपोरेटी मदद नहीं लिया है।  शम्भू नाथ   प्रथम दिन 12 अक्टूबर को भारतीय भाषा परिषद में ' सांस्कृतिक राष्ट्रवाद , इतिहास बोध व वर्चस्व की राजनीति ' विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई। संगोष्ठी में जाने-माने कवि एवं आलोचक पंकज चतुर्वेदी ने   देश में बढ़ रही असहिष्णुता , धार्मिक कट्टरता एवं फासीवाद के प्रभाव पर चिंता जाहिर...