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मार्च, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हरपाल सिंह अरुष की कहानी 'अधूरी कहानी'

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  हरपाल सिंह अरुष (76) का लंबी बीमारी के बाद कल 30 मार्च 2023 को निधन हो गया। वे लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे।उनके 14 कविता संग्रह और चार कहानी संकलन प्रकाशित हुए। साथ ही उनके चार उपन्यास और दो आलोचना पुस्तकें भी प्रकाशित हैं। अरूष जी ने गुजराती, मलयालम कविताओं का अंग्रेजी और मराठी में अनुवाद किया। 1857 की क्रांति पर लिखे गए उनके उपन्यास ‘1857 कोई और भी था’ को काफी ख्याति प्राप्त हुई थी। मैथिलीशरण सम्मान, यूनीसेफ की ओर से सहस्राब्दि सम्मान, पंडित रामचंद्र शुक्ल सम्मान जैसे सम्मानों से उन्हें सम्मानित किया गया था। कस्बाई परिवेश उनके कहानियों की मुख्य विशेषता है। और इन कहानियों में भी रोजमर्रा का जीवन बिना कुछ अतिरिक्त जोड़े साकार हो उठता है। ऐसे में एक साफगोई इनकी कहानियों में स्पष्ट दिखाई पड़ती है। अरुष जी की स्मृति को नमन करते हुए आज हम पहली बार पर प्रस्तुत कर रहे हैं उनकी कहानी जिसका नाम ही है 'अधूरी कहानी'। 'अधूरी कहानी' हरपाल सिंह अरुष  शाकेश्वर केश्वर को रिटायर हुए पाँच वर्ष हो गए थे। वह अपने आपको एकदम बूढ़ा समझने लगा था। डरता रहता था कि कहीं अर्थोराइटिस न हो जाए।

प्रचण्ड प्रवीर का आलेख 'हिन्दी साहित्य की अपसंस्कृति'

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प्रचंड प्रवीर प्रचण्ड प्रवीर बिहार के मुंगेर जिले में जन्मे और पले बढ़े हैं। इन्होंने सन् 2005 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली से रासायनिक अभियांत्रिकी में प्रौद्योगिकी स्नातक की उपाधि ग्रहण की। सन् 2010 में प्रकाशित इनके पहले उपन्यास ‘अल्पाहारी गृहत्यागी: आई आई टी से पहले' ने कई युवा हिन्दी लेखकों को प्रेरित किया। सन् 2016 में प्रकाशित इनकी दूसरी पुस्तक, ‘अभिनव सिनेमा: रस सिद्धांत के आलोक में विश्व सिनेमा का परिचय‘, हिन्दी के वरिष्ठ आलोचकों द्वारा बेहद सराही गई। इस महत्त्वपूर्ण पुस्तक का अंग्रेजी मेंं अनुवाद 'सिनेमा थ्रू रसा' शीर्षक से सन् 2021 में प्रकाशित हुआ। सन् 2016 में  ही इनका पहला कथा संग्रह ‘जाना नहीं दिल से दूर‘ प्रकाशित हुआ। इनका पहला अंग्रेजी कहानी संग्रह ‘Bhootnath Meets Bhairavi (भूतनाथ मीट्स भैरवी)’ सन् 2017 में प्रकाशित हुआ। कहानियों के दो संग्रह 'उत्तरायण' और 'दक्षिणायन' सन् 2019 में तथा लघु कथा संग्रह ‘कल की बात’ के तीन संकलन षड्ज, ऋषभ व गान्धार नवम्बर 2021 में सेतु प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हुए हैं। इन्होंने कुछ विश्व कविताओं का हिन्

नितेश व्यास का आलेख 'इरफ़ान : रूहदार नहीं मरा करते'

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  इरफ़ान, यही तो सीधा सादा परिचय था उस अभिनता का जो अपनी अदा से अपने करोड़ों प्रशंसकों के दिलों पर राज करता था। रोजमर्रा में जीने के हम कुछ ऐसे आदी होते हैं, कि भूल जाते हैं कि यह दुनिया फानी है। कौन जानता था कि हमारा प्रिय नायक ऐसी बीमारी से जूझ रहा है, जिसमें जीवन को अन्ततः पराजय स्वीकार ही करना पड़ता है। इरफान फिल्म व टेलीविजन दोनों क्षेत्रों के एक बेहतरीन अभिनेता थे। उन्होने 'द वारियर', 'मकबूल', 'हासिल', 'द नेमसेक', 'रोग' जैसी फिल्मों मे अपने अभिनय का लोहा मनवाया। 'हासिल' फिल्म के लिये उन्हे वर्ष 2004 का फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। बालीवुड ही नहीं हॉलीवुड मे भी इरफान ने अपने अभिनय का लोहा मनवाया। वह 'ए माइटी हार्ट', 'स्लमडॉग मिलियनेयर', 'लाइफ ऑफ़ पाई' और 'द अमेजिंग स्पाइडर मैन' फिल्मों मे भी काम कर चुके हैं। 2011 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया। साठवें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2012 में इरफ़ान को फिल्म 'पान सिंह तोम'र में अभिनय के लिए श्रेष्ठ अभि