'दिगंत में दस दस्तख़त', हिन्दी अनुवाद सिद्धेश्वर सिंह

आमतौर पर हम दुनिया भर में होने वाले उस लेखन से परिचित नहीं होते जिसके केन्द्र में प्रायः उपेक्षित लोगों की उपस्थिति होती है। लेकिन यह सुखद है कि इधर हिन्दी के कुछ रचनाकारों ने वैश्विक साहित्य से परिचित कराने का काम उम्दा तरीके से किया है। स्वाभाविक रूप से इनके द्वारा किया गया अनुवाद भी बेहतरीन यानी कि मूल रचना के करीब होता है। ऐसे रचनाकारों में सिद्धेश्वर सिंह का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। सिद्धेश्वर सिंह खुद कवि हैं और बिना किसी शोरोगुल के अपना लेखन कार्य करते हैं। वे अनुवाद भी चुनिंदा करते हैं। दुनिया के दस रचनाकारों की एक एक कविताओं का अनुवाद उन्होंने पहली बार को उपलब्ध कराया है। इनमें से कुछ कवि तो ऐसे हैं जिनसे हम पहली बार रु ब रु होंगे। अलग अलग बोली भाषा वाले इन कवियों की कविताओं में अलग अलग रंग सहज ही देखे जा सकते हैं। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं दुनिया के दस रचनाकारों की कविताएं, जिसे 'दिगंत में दस दस्तख़त' नाम से प्रकाशित किया जा रहा है। इन कविताओं को परिंदे के हालिया प्रकाशित विश्व साहित्य पर केन्द्रित अंक में पढ़ा जा सकता है। 'दिगंत में दस दस्तख़त'...