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नीलोत्पल की कविताएँ

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नीलोत्पल जीवन के लिए जो जरुरी है वह प्रायः दिखायी नहीं पड़ता. हवा-पानी अपनी अदृश्यता के बावजूद इस अमूल्य-अतुल्य जीवन को बचाने के लिए हर क्षण सन्नद्ध रहते हैं. एक संवेदनशील रचनाकर ही इस अदृश्यता को उभारने का काम बखूबी कर सकता है. वैसे भी हमारा समय त्रासद समय है. इस त्रासद समय में कवि अपने आसपास की प्रकृति, जीवन और परिवेश से दो-चार होता है और उन मूल्यों को बचाने की कोशिश करता है. नीलोत्पल का नाम युवा कवियों में जाना-पहचाना है. नीलोत्पल की कविताओं में इस अदृश्यता को पहचानने की बानगी सहज ही देखि और महसूस की जा सकती है. तो आइए पहली बार पर हम पढ़ते हैं आज नीलोत्पल की कविताओं को.             नीलोत्पल की कविताएँ    जमीन के नीचे पानी अदृश्य है ज़िंदगी को ऐसे देखो जैसे प्याले में भरा जाम तुम किसी को गले लगाते हो और भीतर से अनेक तितलियाँ उड़ जाती हैं कभी चुभते रहना मन को अपूर्ण करता है स्वांग शब्द का हो या ख़ाली समय का सारी   रोशनीयां एक रंग में सिमट आएंगी धोखा तुम्हारी उँगलियों में हैं और प्रेम तुम्हारे   धोखा देह के भीतर भी...