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बांदा कार्यशाला (2-4 अक्टूबर, 2015 ) की रपट

बाँदा के बड़ोखर खुर्द गाँव में बीते 2 से 4 अक्टूबर , 2015 के बीच ' आंबेडकरवाद और मार्क्सवाद : पारस्परिकता के धरातल ' विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था । इस कार्यशाला में देश भर से आये प्रतिभागियों ने भाग लिया था। इस कार्यशाला की रपट का पहला भाग आप पिछले महीने पढ़ चुके हैं। प्रस्तुत है रपट का दूसरा और अंतिम भाग। इसे भी तैयार किया है युवा आलोचक बजरंग बिहारी तिवारी ने। तो आइए पढ़ते हैं यह रपट।   आंबेडकरवाद और मार्क्सवाद : पारस्परिकता के धरातल बांदा कार्यशाला (2-4 अक्टूबर, 2015) की रपट   (दूसरा और अंतिम भाग) बजरंग बिहारी तिवारी 3 अक्टूबर 2015 को दोपहर बाद सत्र का विषय था- ‘प्रगतिवादी लेखन और आंदोलन में जाति के सवाल’ । सत्र की प्रस्तावना करते हुए संयोजक ने कहा कि प्रगतिशील लेखक संघ के बिलकुल शुरूआती वर्षों में हुई बहसें इस बात की गवाही देती हैं कि जाति से जुड़े प्रश्न प्रगतिवादी आंदोलन के लिए कितने जरूरी थे । तुलसीदास पर तमाम प्रगतिवादी आलोचकों का हमला यह साबित करता है कि वे वर्ण-जाति व्यवस्था का उन्मूलन करना चाहते थे । प्रगति...