अन्त्जे श्तीन की कविताएं

अन्त्जे श्तीन वैसे दीवार को मनुष्य ही ईंट, गारे, सीमेंट और अपने हुनर से निर्मित करता है लेकिन निर्मित हो जाने के बाद दीवार अपने को ऊंचा देख कर अहंकार में डूब जाती है। खुद की हैसियत को भूल जाती है। इसी क्रम में वह दीवार आदमी को आदमी से अलग करने का काम करने लगती है। बर्लिन की दीवार को भला कौन भूल सकता है। यह तो मनुष्य की भावनाएं और संवेदनाएं थीं जिसने उस अटूट सी लगने वाली दीवार को पूरी तरह से जमींदोज कर दिया। चर्चित जर्मन-इतालवी कवयित्री अन्त्जे श्तीन की कविताएं इस दीवार के ढहने की और मनुष्यता के विजय की कहानी बयां करती है। अन्त्जे श्तीन की कविताओं का उम्दा अनुवाद किया है हिन्दी की चर्चित कवयित्री पंखुरी सिन्हा ने। आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं अन्त्जे श्तीन की कविताएं। मूल कविता अन्त्जे श्तीन की कविताएं (चर्चित जर्मन-इतालवी कवयित्री) अनुवाद - पंखुरी सिन्हा वह पुरानी दीवार बर्लिन की वह पुरानी दीवार नामुमकिन था जिसे फांदना ढ़ह नहीं गई अपने आप! उन्होंने बेचा उसे टुकड़े टुकड़े, तोड़े सीमेंट के वृहदाकार हिस्से, जिनकी नुमाईश की गई, जीत के पु...