संदेश

प्रदीप्त प्रीत लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्रदीप्त प्रीत की कविताएं

चित्र
प्रदीप्त प्रीत  विधाओं में परस्पर आवाजाही की एक अलग परम्परा रही है। दो अलग अलग विधाओं में काम करते हुए उसे साध लेना आसान काम नहीं होता। लेकिन प्रदीप्त प्रीत ने अपनी कविताओं में यह सम्भव कर दिखाया है। प्रदीप्त रंगमंच से जुड़े हुए हैं। मूलतः कवि हैं। इसलिए उनकी कविताओं में संवादात्मक अभिव्यक्ति प्रायः दिखाई पड़ती है। यह कवि का हुनर है कि संवाद को कविता का अभिन्न अंग बना देता है। कवि अपनी बात को पुरजोर तरीके से कहने के लिए व्यंग्य का सहारा लेता है। यह व्यंग्य कल्पित नहीं बल्कि हमारे समाज में प्रचलित वह कुरीति है जिससे ऊपर से नीचे तक सब परिचित हैं लेकिन उसके बारे में कोई बात नहीं करना चाहता। आज भले ही हम स्वयं को विश्व गुरु कह कर अपनी पीठ खुद ठोक लें लेकिन ज्ञान की बात जब भी आती है वैश्विक स्तर से हमारे शैक्षणिक प्रतिष्ठान कोसों दूर रहते हैं। यह बात सुनने में भले ही तल्ख लगे लेकिन यह हकीकत है कि हमारे यहां जो शोध होते हैं उसमें मौलिकता के नाम पर कुछ होता ही नहीं। मौलिकता के अभाव में ये शोध कुछ भी नया जोड़ पाने में नाकामयाब रहते हैं। हाल ही में  सिंगापुर के सुप्रीम कोर्ट  ने स...

प्रदीप्त प्रीत की रपट 'बागड़बिल्ला : निम्नवर्गीय जिंदगी के पथरीले सच का बयान'

चित्र
  रंगमंच प्रस्तुति का आज भी एक सशक्त माध्यम है। इसके जरिए कलाकार सीधे ही अपने दर्शकों से रु ब रू होता है। रंग मंच का गहरा असर दर्शकों के मन मस्तिष्क पर पड़ता है। हाल ही में जयपुर में आयोजित हुए रंग राजस्थान महोत्सव में ‘ब्रीदिंग स्पेश’ समूह द्वारा ‘बागड़बिल्ला’ नामक नाटक की प्रस्तुति की गई। इस नाटक का सशक्त निर्देशन अभिषेक गोस्वामी के द्वारा किया गया। ‘बागड़बिल्ला’ मुंबई के धारावी इलाके में रहने वाले लोगों की कहानी हैं। इस नाटक के बारे में एक जीवन्त रपट भेजी है जयपुर से ही प्रदीप्त प्रीत ने। नाटक के कुछ चित्र प्रदीप्त ने ही उपलब्ध कराए हैं। तो आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं प्रदीप्त प्रीत की रपट । 'बागड़बिल्ला : निम्नवर्गीय जिंदगी के पथरीले सच का बयान' प्रदीप्त प्रीत  जयपुर में हो रहे रंग राजस्थान महोत्सव का पहला दिन है, जवाहर कला केंद्र के आस-पास का वातावरण इसी महोत्सव में ढल गया है, शाम के यही कोई साढ़े चार का समय हो रहा है, प्रवेश द्वार पर लगभग पचास पूर्वी राजस्थान के लोक कलाकार ‘मीणा बाटी’ के माध्यम से राजा पुरणमल की कथा कह रहे हैं, उनकी गायन शैली में...