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चंद्रभानु सरोज द्वारा की गई समीक्षा 'समय समाज की संवेदनाओं, प्रतिरोधों और संवादों की थाती : चेतना के दस द्वीप'

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कवि कथाकार रणविजय सिंह सत्यकेतु के सम्पादन में 'चेतना के दस द्वीप' नामक एक संग्रह का प्रकाशन  अभी  हाल ही में   हुआ है। इस संग्रह में सम्पादक ने दस कवियों की पांच पांच कविताएं प्रस्तुत की हैं। एक समयांतराल में जन्मे इन कवियों की कविताओं के माध्यम से अपने देश और समाज को बेहतर ढंग से जाना जा सकता है। चंद्रभानु सरोज ने  इस किताब की समीक्षा लिखी है । चंद्रभानु जी पत्रकार के साथ साथ एक उम्दा लोक कलाकार भी हैं। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं चंद्रभानु सरोज द्वारा की गई समीक्षा 'समय समाज की संवेदनाओं, प्रतिरोधों और संवादों की थाती : चेतना के दस द्वीप'। 'समय समाज की संवेदनाओं, प्रतिरोधों और संवादों की थाती : चेतना के दस द्वीप'  चंद्रभानु सरोज समकालीन हिन्दी कविता एक निरंतर बहती धारा है- कभी शान्त, कभी स्मृतियों से बोझिल, तो कभी आशाओं से दीप्त। रणविजय सिंह सत्यकेतु द्वारा संपादित कृति चेतना के दस द्वीप इन्हीं चमकती दस धाराओं को एकत्र करती है। यह केवल कविताओं का संग्रह नहीं, बल्कि भारतीय काव्य-संवेदना के विविध रंगों का एक विराट कोश है। दस कवियों की पांच-पांच श्रेष्ठ...