राम जियावन दास बावला.
शुभ शुभ, शुभ नया साल हो.
बासल बयार ऋतुराज के सनेस देत
गोरकी चननिया के अचरा गुलाल हो
खेत खरीहान में सिवान भर दाना-दाना
चिरई के पुतवो न कतहु कंगाल हो
हरियर धनिया चटनिया टमटरा के
मटरा के छीमीया के गदगर दाल हो
नया नया भात हो सनेहिया के बात हो
की एही बिधि शुभ शुभ, शुभ नया साल हो
सोहन लाल द्विवेदी
स्वागत! स्वागत! मेरे आगत!
स्वागत! जीवन के नवल वर्ष
आओ, नूतन- निर्माण लिए,
इस महाजागरण के युग में
जागृत जीवन अभिमान लिए,
दिनों दुखियों का त्राण लिए
मानवता का कल्याण लिए,
स्वागत! नव युग के नवल वर्ष
तुम आओ स्वर्ण विहान लिए,
संसार क्षितिज पर महाक्रान्ति
की ज्वालाओं के गान लिए,
मेरे भारत के लिए नयी
प्रेरणा, नया उत्थान लिए,
मुर्दा शरीर में नये प्राण
प्राणों में नव अरमान लिए,
स्वागत! स्वागत! मेरे आगत!
तुम आओ स्वर्ण विहान लिए!
युग-युग तक पिसते आये
कृषकों को जीवन-दान लिए,
कंकाल मात्र रह गये शेष
मजदूरों का नव त्राण लिए,
श्रमिकों का नव संगठन लिए
पद दलितों का उत्थान लिए
स्वागत!स्वागत! मेरे आगत!
तुम आओ स्वर्ण विहान लिए!
सत्ताधारी साम्राज्यवाद के
मद का चिर अवसान लिए
दुर्बल को अभयदान,
भूखे को रोटी का सम्मान लिए
जीवन में नूतन क्रान्ति
क्रान्ति में नए-नए बलिदान लिए
स्वागत जीवन के नवल वर्ष
आओ तुम स्वर्ण विहान लिए!
bahut hi badiya saarthak sandesh deti rachna..
जवाब देंहटाएंaapko spariwar NAVVARSH Kee haadik shubhkamnayen!
बहुत ही सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंबावला यहाँ हैं, मन इतने से ही झूम उठा। बावला हमारी थाती हैं और अद्भुत चितेरे। बेहद आभार।
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