पंखुरी सिन्हा की कविताएं
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आज जब दुनिया में नफ़रत और घृणा अपने चरम पर है, तब प्रेम ही वह भरोसा है जो हमें आश्वस्त करता है कि अन्ततः सब बेहतर होगा। ढाई आखर के इस प्रेम के विस्तार की सीमा नहीं है। यह असीम और अनन्त है। यह प्रेम ही है जिसके बारे में आमतौर पर यह कहा जाता है कि इसके बूते किसी से कोई भी काम कराया जा सकता है। प्रेम ही वह अनुभूति है जिसके लिए हम मरने मारने पर उतारू हो जाते हैं। अपनी एक अपेक्षाकृत लम्बी कविता अच्छी पार्टी और प्रेम में पंखुरी सिन्हा लिखती हैं 'प्रेम तो ऐसा होता है/ जिसमें कोई जान ले ले/ किसी की'। लेकिन दुर्भाग्यवश प्रेम भी इन दिनों एक जुमला बनता जा रहा है। जो प्रेम किसी भी बन्धन को स्वीकार नहीं करता, उसी को समाज के उद्धत लोग निर्धारित करने वाले ठेकेदार बनते जा रहे हैं। प्रेम को सीमाओं में बांधने का प्रयास किया जा रहा है। जो ऐसा कर रहे हैं वे नहीं जानते कि पहले भी प्रेम ने किसी तरह के अवरोध को स्वीकार नहीं किया और न ही वह आगे ऐसा करेगा। यही तो प्रेम की उदात्तता है। यही प्रेम की ताकत है। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं पंखुरी सिन्हा की कविताएं। पंखुरी सिन्हा की...