आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का निबंध 'आपने मेरी रचना पढ़ी'
जीवन व्यवहार अपनी तरह से घटित होता रहता है और यह घटित साहित्य का विषय बनता है। ललित निबन्ध गद्य की एक ऐसी महत्त्वपूर्ण विधा है जिसमें तरतीबवार बातें रोचक तरीके से की जाती हैं। ललित निबंध लिखना आसान नहीं होता। वस्तुतः यह अत्यंत परिष्कृत और प्रौढ़ गद्य का प्रतीक माना जाता है। इसे आधुनिक चेतना का परिणाम माना जाता है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल इसे 'गद्य की कसौटी मानते हैं ।' हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कुछ अदभुत ललित निबन्ध लिखे हैं। ये निबन्ध पढ़ते हुए हम अपने समय और समाज से हो कर गुजरते हैं। इसीलिए ये आज भी प्रासंगिक लगते हैं। द्विवेदी जी का एक महत्त्वपूर्ण ललित निबंध है 'आपने मेरी रचना पढ़ी?'। आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं हजारी प्रसाद द्विवेदी का ललित निबंध 'आपने मेरी रचना पढ़ी?' आपने मेरी रचना पढ़ी हजारी प्रसाद द्विवेदी हमारे साहित्यिकों की भारी विशेषता यह है कि जिसे देखो वहीं गम्भीर बना है, गम्भीर तत्ववाद पर बहस कर रहा है और जो कुछ भी वह लिखता है, उसके विषय में निश्चित धारणा बनाये बैठा है कि वह एक क्रान्तिकारी...