प्रकर्ष मालवीय 'विपुल' की कविताएँ
प्रकर्ष की कविताओं में आम जीवन की घटनाएं सहज रूप में आती हैं और अन्त आते
आते एक व्यापक फलक हमारे सामने रख देती हैं। ये घटनाएं हमारे साथ अक्सर ही
घटित होती रहती हैं जिन्हें हम प्रायः अनदेखा अनसुना कर देते हैं। लेकिन
कवि की सूक्ष्म दृष्टि के साथ प्रकर्ष उसे अपनी कविता का विषय बनाते हैं।
'रोटी' कविता हो या 'धाँजा राम', कहा जा सकता है कि प्रकर्ष उस अलक्षित रह
जाने वाले जीवन को कविता में घटित करने का हुनर अब विकसित कर चुके हैं।
इलाहाबाद एक और संभावनाशील कवि से अब दो चार है। पहली बार के लिए प्रकर्ष
ने ये कविताएँ एक अरसा पहले भेजी थीं। आज हम पहली बार पर प्रस्तुत कर रहे
हैं प्रकर्ष की कुछ कविताएँ।
प्रकर्ष मालवीय 'विपुल' की कविताएँ
रोटी
मेरे बेटे ने पूछा
"पापा चुरमुरे वाला तो रोज़ चुरमुरा
खाता होगा?"
मैंने कहा-
नहीं बेटा वो रोटी कमाने के लिए चुरमुरा बेचता है
और वो रोटी खाता है।
उसने फिर कहा-
पापा चाट वाले के तो बड़े मज़े हैं
रोज़ चाट खाता होगा।
मैंने कहा नहीं बेटा!
वो भी रोटी कमाने को चाट बेचता है
और वो भी रोटी ही खाता है।
फिर उसने अंडा खाते हुए कहा-
पापा अंडे वाला तो ज़रूर
रोज़ बढ़िया ऑम्लेट खाता होगा।
मैंने कहा - नहीं बेटा!
वो भी अपनी रोटी कमाने के लिए ही अंडे बेचता है
और सब्ज़ी ना होने पर अंडे से रोटी खा लेता है।
फिर कुछ ठहर कर
सोच विचार कर उसने कहा-
फिर सबको रोटी कौन देता है?
मैंने कहा- हमारा किसान।
अपनी देह तोड़कर
पसीने से फ़सल सींच कर
इन सभी को रोटी देता है।
उसने छूटते ही कहा-
तब तो किसान ज़रूर ख़ूब रोटियाँ खाता होगा!
अब मैं मौन था।
निरुत्तर था।
धांजा राम
अठहत्तर वर्षीय धांजा राम
घर की चौखट पर बैठे
अपनी डबडबाई आँखों से
ताक रहे हैं आते जाते लोगों को
कोई उनसे बात करने को तैयार नहीं
कोई उनके साथ रहने को तैयार नहीं।
क्यों?
क्योंकि धांजा राम ने दी है गवाही
अपने ही तीन पुत्रों, बहु और एक पोती के ख़िलाफ़
जी हाँ! इन्होंने ने मारा है मेरी पोती को
अपनी बहन, बेटी और भतीजी को,
मेरी गोरी चित्ती 'स्वीटी' को।
क्यों?
क्योंकि वह प्रेम कर बैठी थी
एक ग़ैर जात के लौंडे से
कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता था उसे
उस लौंडे के ग़ैर जात के होने से।
बहुत समझावन बुझावन
कहा-सुनी और मारपीट के बाद।
एक दिन! गला घोंट दिया इन्होंने उसका
समाज में अपना झूठा सम्मान बचाने को
और जला दी उसकी लाश
घर के ही 'बिथोड़े' में।
निचली अदालत ने उम्र क़ैद दी है
इन हत्या के अभियुक्तों को
धांजा राम के बच्चों को
धांजा राम की गवाही पर।
धांजा राम पकाते हैं रोटी
अपने बाक़ी नाती पोतों के लिए
भेजते हैं उन्हें प्राइवेट स्कूल
जिनके माँ बाप बंद हैं जेल में
धांजा राम की गवाही पर
वे कहते हैं बुढ़ाऊ सठिया गए हैं
हमारा जीवन बर्बाद किया है बूढ़े ने।
किसी तरह खींच रहे हैं गृहस्थी की गाड़ी
अपनीअट्ठारह सौ रुपए की वृद्धा पेन्शन पर धांजा राम।
कुछ पूछने पर
बोलना चाहते हैं धांजा राम
होंठ हिलते हैं उनके
लेकिन कुछ बोल नहीं पाते धांजा राम
सज़ा हुई है उनके बच्चों को, लेकिन
सज़ा काट रहे हैं धांजा राम।
ड्रीमहोम
शहर से कुछ दूर
घने पेड़ों से घिरा एक मैदान है
पेड़ों के बीच हिरन उछल कूद कर रहे हैं
मैदान में कुछ बच्चे खेल रहे हैं
मैदान के ऊपर खुले आकाश में
पक्षी उड़ रहे हैं, पेड़ों पर चहचहा रहे हैं।
हिरन, बच्चे और चिड़ियाँ ये सब
तब तक वैसे ही करते रहेंगे अपना काम जब तक
किसी बिल्डर की गिद्ध दृष्टि इस दृश्य पर नहीं पड़ती।
शहर के क़रीब इतनी ख़ाली जगह देख कर
बिल्डर के भेड़िए जैसे मुँह से लार टपकने लगेगी
और उसकी आँखें हिरनों, बच्चों और पक्षियों का
यह अनुत्पादक कार्य बिलकुल बर्दाश्त नहीं कर पाएगी।
बिल्डर के पास निर्माण क्षेत्र में कई सालों का अनुभव
है
सरकारी महकमे में अच्छी पकड़ भी है
मंत्री जी के साथ उठना बैठना है
लोग कहते हैं बिल्डर बड़ी सुंदर इमारतें बनाता है.
सुना है! सत्ताधारी पार्टी के विधायक जी का बंगला भी
इसी बिल्डर ने डिज़ाइन किया है।
सरकार ने भी शहर के सुंदरीकरण और विस्तार का ठेका
इसी बिल्डर को दे दिया है.
बिल्डर बहुत 'व्यवहार कुशल' है
सरकार कोई भी हो
सरकारी योजना का ठेका उसे ही मिलता है।
बिल्डर द्वारा योजना की घोषणा होते ही,
शहर के सम्पत्ति पिपासु लोग
जिनकी धमनियों में रक्त से ज़्यादा शर्करा दौड़ती है
जिसे जलाने के लिए वे
शहर के 'सुरक्षित' पार्कों में
कूद फाँद करते हैं सुबह शाम
और जिनके लिए यह योजना
निवेश का बढ़िया विकल्प है,
जल्द ही बुकिंग कराना शुरू कर देंगे।
अब इस हरे घने पेड़ों के बीच स्थित मैदान पर
एक गगनचुंबी इमारत बनेगी
बिल्डर अपने 'सौंदर्यबोध' से इस जगह का
नक़्शा ही बदल देगा!
और फिर यहाँ
ना ख़तरनाक जंगली पशु पक्षियों का ख़तरा होगा,
ना बच्चों का कोलाहल, और
ना पक्षियों की अनचाही बिनमाँगी चें चें।
यहाँ बस शांति ही शांति होगी
और उस शांति के बीच होगा
शहर के लोगों का 'ड्रीमहोम'।
सम्पर्क-
मोबाईल - 09389352502
08765968806
(इस पोस्ट में प्रयुक्त पेंटिंग्स वरिष्ठ कवि विजेन्द्र जी की हैं.)
मोबाईल - 09389352502
08765968806
(इस पोस्ट में प्रयुक्त पेंटिंग्स वरिष्ठ कवि विजेन्द्र जी की हैं.)
वाह सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएं