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जितेंद्र सिंह सोढ़ी की कविताएं

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  जितेंद्र सिंह सोढ़ी  जितेन्द्र सिंह सोढी ऐसे कवि हैं जो मजदूर आन्दोलन से जुड़े हुए हैं। वह सक्रियता उनकी कविताओं में स्पष्ट तौर पर देखी जा सकती है। उनकी कविताओं पर एक टिप्पणी की है कवि पद्मनाभ मिश्र ने। साथ ही हम प्रस्तुत कर रहे हैं  जितेंद्र सिंह सोढ़ी की कविताएं।  आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं पद्मनाभ मिश्र की टिप्पणी के साथ जितेंद्र सिंह सोढ़ी की कुछ प्रतिनिधि कविताएँ। मानवीय संबंधों पर मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति के कवि पद्मनाभ मिश्र  कवि जितेंद्र सिंह सोढ़ी जी का जन्म  28 जुलाई 1955 को जालंधर पंजाब में हुआ। वे विज्ञान स्नातक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद खनन में डिप्लोमा प्राप्त करने के पश्चात कोयला कंपनी ‘कोल् इंडिया लिमिटेड’ में सुपरवाइजर के रूप में कार्य करते हुए रिटायर हुए। कवि अपने पूरे सेवाकाल में ट्रेड यूनियन के साथ समर्पित कार्यकर्त्ता के रूप में जुड़े रहे तथा छह वर्षों तक कोयला श्रमिक संघ के महासचिव रहे। वर्तमान में वह सेवानिवृत्त हो कर  छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के अंबिकापुर शहर में निवासरत हैं तथा लेखन के साथ साथ संविधान जागरूकता अभिया...

चंद्रेश्वर की कविताएं

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  चंद्रेश्वर  मनुष्य को  मनुष्य बनाए रखने में रिश्तो की बड़ी भूमिका होती है। खास तौर पर कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिनका कोई विकल्प नहीं होता और जो हमारे जीवन को स्वरूप देने में हम भूमिका निभाते हैं। लेकिन जैसे जैसे हम जिम्मेदारियों के जाल में उलझते चले जाते हैं, रिश्ते नाते के लिए समय तक नहीं निकाल पाते हैं। उनके लिए हमारे पास समय तक नहीं होता, जिन्होंने हमें निर्मित किया है। हां, हम इतने मजबूर होते हैं कि चाह करके भी कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं होते। कवि लोग दूर से कविताएं लिख कर अपनी अनुभूति व्यक्त कर लेते हैं। कहानीकार कहानी लिख कर अपना मन्तव्य जाहिर कर देते हैं, लेकिन हकीकत तो अपनी जगह बनी ही रहती है। मां मनुष्य के जीवन का वह खूबसूरत रिश्ता होता है जिसे शब्दों में बयां ही किया जा सकता। मां पर दुनिया के तमाम कवियों ने कविताएं लिखी हैं। एक कविता कवि चंद्रेश्वर की भी है जिसमें वे 'बुढ़ापे में मां' को याद करते हैं। मां के पास गांव की स्मृतियां हैं जो उसे ज़िंदा रखे रहती हैं। आज पहली बार पर इस कविता के साथ साथ हम चंद्रेश्वर की कुछ अन्य कविताएं प्रस्तुत कर रहे हैं।  च...