प्रकाश उदय की भोजपुरी कविताएं


प्रकाश उदय 


भाषा के तौर पर भोजपुरी एक समृद्ध भाषा है। क्षेत्रीय भाषाओं की यह ताकत होती है कि वह जनता से गहरे तौर पर जुड़ी होती है। इसीलिए ऐसी भाषाएं लोक सरोकारों से जुड़ी होती हैं। इनका असर भी व्यापक होता है। प्रकाश उदय भोजपुरी के सशक्त कवि हैं। इनके यहां ऐसे विषय सहज ही मिल जाएंगे जो कविता की परिधि से प्रायः दूर होते हैं। हाल ही में इनकी भोजपुरी कविताओं का संग्रह 'अरज निहोरा' 'राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है। आज कवि का जन्मदिन है। जन्मदिन पर पहली बार की तरफ से बधाई एवम शुभकामनाएं। आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं प्रकाश उदय की कुछ भोजपुरी कविताएं। ये कविताएं उनके हालिया प्रकाशित कविता संग्रह से ली गई हैं।



 प्रकाश उदय की कुछ भोजपुरी कविताएं



फुलगोभी


हती-हती फुलवा हतना सोभे 

बड़का कतना सोभी 

फुलगोभी- 

देखते मनवा लोभी 

फुलगोभी !

उजर उजर फर भर-भर झाबा 

जइसे हो नेतवन के साभा 

जिन्हनी के कुर्ता-पैजामा 

धंगचि के धोअलस धोबी - 

फुलगोभी! 

देखते मनवा लोभी 

फुलगोभी! 

भुँजले अहा! छेंवकले आहा!! 

छनला पर त आहा! आऽहा!! 

बाकिर तनी सम्हर के भाया - 

पिलुओ कतहीं होखी -

फुलगोभी ! 

देखते मनवा लोभी 

फुलगोभी! 

जे तीयन आलू के मेंजन 

परवर, गोभी, बैगन-वैगन 

प्रभु! कभु कम करबऽ जो भेजन- 

तहरो जिभिया टोकी 

फुलगोभी! 

देखते मनवा लोभी 

फुलगोभी!



देव-दुःख 

(खास काशी-विश्वनाथ के नाँवे)


आवत बाटे सावन, शुरू होई नहवावन 

भोला जाड़े में असाढ़े से परल बाड़े 

एगो लांगा लेखा देह, राखें राखे में लपेट 

लोग धो-धा के उघारे प परल बाड़े

ओने बरखा के मारे, गंगा मारें धारे-धारे 

जट पावें ना सम्हारे, होत जाले जा किनारे- "शिव-शिव हो दोहाई 

मुँह मारीं सेवकाई”-

ऊहो देबे प रिजाइने अड़ल बाड़े

बाटे बड़ी-बड़ी फेर, बाकी सबका से ढेर 

हई कलसा के छेद, देखऽ टपकल फेर 

"गउरा धउरऽ हो दोहाई" 

आ त - "ढेर ना चोन्हाईं 

अभी छोटका के धोए के धयल बाटे"

"बाडू बड़ गिर्हिथिन, खाली लइके के फिकिर..." "बाड़ऽ बापे बड़ नीक, खाली अपने जिकिर..."

"बाडू पथरे के बेटी..."

"बाटे जहरे नरेटी..."

बात बाते-घाते बढ़त बढ़ल बाटे 

सुनि बगल के हल्ला, ज्ञानवापी में से अल्ला 

पूछें, "भइल का ए भोला, महकइलऽ जा मुहल्ला एगो माइक बाटे माथे 

एगो तोहनी के साथे 

भाँग बूटी गाँजा फेरू का घटल बाटे?"

दूनो जाना के भेंटाइल, माने दुख दोहराइल 

ई नहाने नकुआइल, ऊ अजाने अँउजाइल इनके लागेला सोमार 

उनके जुम्मा के बोखार 

दुख कहले-सुनल से घटल बाटे

आवत बाटे सावन, शुरू होई नहवावन 

भोला जाड़े में असाढ़े से परल बाड़े।






तेहूँ चलि जइबे!


केहू बम्बई के भइया 

केहू कलकतिया 

धउरे दिल्ली हमार गँउआ बा दखल झरिया

गइले सात समुन्दर पार 

धइले दुनिया भर के भार 

भइले मनई से, मन से ना, गिरमिटिया

एगो जाला जो सूरतऽ 

बोलवावेला तुरतऽ 

अपना जोड़ापारी में के दसहन सथिया

लागल झुलनी के धक्का 

लागल बूढ़ भइले बप्पा 

लागल छतिया प केकरो बजर-बतिया

कवनो निकले गुरूप 

कइ के गाँव भ के सून 

पिठियवले जाला गँउओ लेले गवनइया

एसी-फेसी चेयर कार 

ओमें फेंकरे सियार 

दूगो जनरल डाबा बा ठसमठसिया

ओमें गँउआ खाती पीएम 

चाहे सीएम डीएम जीएम 

होला टिटिए सिपहिया के रंगदरिया

एगो आवेला जो छुट्टी 

लेके चूरा चाउर चिट्ठी 

जाला सभकर सातू मेथी कचवनिया

रहुए गाँवे फउदारी 

बाते-बाते गारागारी 

गइले माराफारी एके में लगत बटिया

का दो बड़का के जात 

परी परिहथ ना हाथ 

एगो ढाबा में कोडरमा धोवेले थरिया

गाँवे हमरा ना दाहा 

ना दशहरा तकाला 

डकमुंशी जी के जतना तकाला रहिया

देखऽ एसों के दहार 

दहल बचलो इयार 

अब हमरे बा आवेला नमर कहिया

गइलीं खेतवा के आरी 

ऊहो बोलल मनवा मारी- 

का रे तेहूँ चलि जइबे, बाड़े भल भइया!



आहो आहो


रोपनी के रऊँदल देहिया, सँझही निनाला तनि जगइह पिया 

जनि छोड़ि के सुतलके सुति जइह पिया

आहो आहो


हर के हकासल देहिया, सँझही निनाला तनि जगइह धनी 

जनि छोड़ि के सुतलके सुति जइह धनी

आहो आहो


चुल्हा से चऊकिया तकले, देवरू ननदिया तकले 

दिनवा त दुनिया भरके, रतिये हऊवे आपन जनि गँवइह पिया 

धईके बहिंया प माथ, बतिअइह पिया

आहो आहो


घर से बधरिया तकले, भइया भउजईया तकले 

दिनवा त दुनिया भरके, रतिये हऊवे आपन जनि गँवइह धनी 

धईके बहिंया प माथ, बतिअइह धनी

आहो आहो


दुखवा दुहरवला बिना, सुखवा सुहरवला बिना 

रहिये ना जाला कि ना, कईसन दो त लागे जनि सतइह पिया 

कहियो रुसियो फुलियो जाईं, त मनइह पिया

आहो आहो


काल्हु के फिकिरिये निनिया, उड़ि जाये जो आँखिन किरिया 

आ के पलकन के भिरिया, सपनन में अँझुरइह-सझुरइह धनी

जनि छोड़ि के जगलके सुति जइह धनी 

जनि छोड़ि के जगलके सुति जइह पिया 

जनि छोड़ि के जगलके सुति जइह धनी



सम्पर्क 

मोबाइल : 9198709575


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