संदेश

2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्मिता सिन्हा के कविता संग्रह बोलो न दरवेश की यतीश कुमार द्वारा की गई समीक्षा

चित्र
    सपने देखना एक नई दुनिया को सृजित होते देखना होता है। आज का समय सपनों को जमींदोज करने का समय है। फिर भी सपने हैं कि आते हैं और लोग सपने देखते हैं। शुक्र है कि विचारों पर और सपनों पर रोक लगाने वाली मशीन अभी तक नहीं बनी। स्मिता सिन्हा ऐसी ही कवयित्री हैं जिन्हें सपने देखने और उस पर अमल करने वाली लड़कियाँ पसन्द हैं। आज स्मिता सिन्हा का जन्मदिन है। स्मिता को जन्मदिन की बधाई देते हुए आज हम प्रस्तुत कर रहे हैं सेतु प्रकाशन से उनके हालिया प्रकाशित कविता संग्रह 'बोलो न दरवेश' की यतीश कुमार द्वारा लिखी गयी समीक्षा 'तितलियाँ कब से मरी जा रही हैं अपने कोमल पंख लिए'।   तितलियाँ कब से मरी जा रही हैं अपने कोमल पंख लिए     यतीश कुमार       किताब आये कई महीने हुए और मैं एक दो बार चिंतित हुआ कि आखिर क्या मसला है कि चुन ही नहीं रही मुझे। पर चलो 2021 की किताब ने 2021 खत्म होने से पहले ही चुन लिया मुझे।     शुरुआती कविताएँ ही आपको कवयित्री की संवेदनशीलता का परिचय दे देती है। ओस की बूंदें अपना पता भूल गयीं और कवयित्री को यह ...