जॉर्ज सॉण्डर्स की कहानी “ऐडम्स”, हिन्दी अनुवाद - श्रीविलास सिंह
जॉर्ज सॉण्डर्स |
2004 में द न्यूयॉर्कर में प्रकाशित यह अमेरिकी कहानी जहाँ एक ओर हमारे समाज में बढ़ती असहिष्णुता और किसी को नापसंद करने के लिए स्वयं को जस्टिफ़ाई करने की प्रवृत्ति को दर्शाती है। वहीं विश्व राजनीति - चाहे वह इराक़ पर अमेरिकी आक्रमण हो, यूक्रेन पर रुस का आक्रमण हो चाहे फ़िलिस्तीन पर इज़राइल का आक्रमण - सब के लिए एक सशक्त रूपक है। जॉर्ज सॉण्डर्स की इस कहानी का हिन्दी अनुवाद किया है कवि और अनुवादक श्रीविलास सिंह ने। तो आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं जॉर्ज सॉण्डर्स की कहानी “ऐडम्स”।
“ऐडम्स”
(अमेरिकी कहानी)
जॉर्ज सॉण्डर्स
हिंदी अनुवाद : श्रीविलास सिंह
मैं कभी ऐडम्स को बर्दाश्त नहीं कर सकता था। ऐसे में एक दिन वह मेरे किचन में अंडरविअर पहने खड़ा था। मेरे बच्चों के कमरे के दरवाजे की ओर मुंह किये हुए! इसलिए मैंने उसके सिर के पिछले भाग पर जोर की चपत लगायी और वह नीचे गिर पड़ा। जब वह उठ कर खड़ा हुआ मैंने उसे फिर चपत लगायी, वह फिर गिर पड़ा। फिर मैंने उसे सीढ़ियों से नीचे शुरुआती वसंत के कचरे में धकेल दिया और कहा, “यदि तुमने फिर ऐसा किया तो भगवान कसम, मैं नहीं कह सकता कि मैं क्या कर दूंगा, नालायक।”
करेन घर आयी। मैं उसे एक ओर खींच ले गया। उद्देश्य था कहना कि: दरवाजों को बंद रखो, और यदि वह घर में आये भी तो बच्चे भीतर रहें।
किन्तु रात के भोजन के बाद मैं सोचने लगा : यह आदमी अपनी निक्कर में भीतर चला आता है और मैं यहाँ इसे झेलता बैठा हूँ। क्या यह प्यार है? मेरे बच्चों के प्रति प्यार? क्योंकि तब क्या होगा? क्या होगा यदि हम चूक गए? क्या होगा यदि कोई बच्चा बाहर आ गया या फिर वह भीतर चला गया? नहीं, नहीं, नहीं, मैं सोच रहा था, यह स्वीकार्य नहीं था।
इसलिए मैं ऊपर गया और पूछा, वह कहाँ है?
तब लिन ने कहा, ऊपर, क्यों?
फिर मैं ऊपर चला गया। वह दर्पण के सामने खड़ा था अभी भी वही घटिया निक्कर पहने हुए, बस अभी उसने एक कमीज पहन ली थी, और मैंने उसे जब वह मुड़ रहा था, फिर चपत लगा दी। वह नीचे गिर गया और उसने कमरे से बाहर रेंग जाना चाहा लेकिन मैंने अपना पैर उसकी पीठ पर रख दिया।
यदि तुम ने फिर कभी ऐसा किया, मैंने कहा, यदि तुम फिर आये…
अब हमारा हिसाब बराबर हो गया, उसने कहा। मैं तुम्हारे घर में आया और तुम मेरे घर में।
बस मैं पैंट पहने हुए था, मैंने फिर उसके सिर के पिछले हिस्से में हलकी सी चपत लगायी।
मैं जैसा भी हूँ मैं हूँ, उसने कहा।
अब तो उसने हद ही कर दी! वह इसे ढिठाई से स्वीकार भी कर रहा है! इसलिए मैंने उसे फिर थप्पड़ लगाया, तभी लिन भीतर आयी, कहती हुई कि, हे, हे रोजर। रोजर मैं था। और फिर वह उठ गया। मेरे लिए तो गजब हो गया। वह उठे? मेरे समक्ष? और मैं उसे फिर चपत लगाने वाला था लेकिन लिन ने मुझे हस्तक्षेप सा करते हुए एक ओर धकेल दिया। तो उसे फिर से चपत लगाने के लिए मुझे लिन को पीछे धकेलना पड़ा, दुर्भाग्य से वह फिसल गयी, और नीचे चली गयी। वह वहां पड़ी रही, उसकी स्कर्ट ऊपर को उठी हुई थी - और वह मुझ पर भन्ना गया! मुझ पर! वह अपना निक्कर पहने हुए, मेरे बच्चों के कमरे की ओर मुंह किये, और वह मुझ पर भन्नाया है? अनेक बार रातों में मैंने ऐडम्स के घर से आती थप्पड़ और उपदेशों की चयनित आवाजें सुनी थी जब वह रुँधी सांसों के साथ कहती होती, फ्रैंक, भगवान के लिए, मैं औरत हूँ, तुम मुझे चोट पहुंचा रहे हो, बच्चे देख रहे हैं, इत्यादि इत्यादि।
क्योंकि वह इसी तरह का आदमी था।
इसलिए मैंने उसे फिर चपत लगायी। और जब वह रेंग कर मुझ तक पहुँची, कहते हुए, प्लीज, प्लीज, मुझे उसे वापस धकेलना पड़ा, बुरे तरीके से नहीं, बल्कि इस भाव से कि बस रास्ते से अलग रहो। तभी, निश्चय ही मेरे भाग्य से, बच्चे दौड़ते हुए भीतर आए - ऐडम्स के ये बच्चे, मैं कहना चाहूंगा, नन्हें चोर हैं जो पीछे के अहाते में लगातार शोर मचाते रहते हैं इत्यादि, इत्यादि - तो वे आ गए, आप जानते हैं, सब कुछ नाटकीय हो रहा था : मम्मी, डैडी! और, ठीक है, वह दुर्भाग्यपूर्ण था, इसलिए मैंने वहां से जाने की कोशिश की लेकिन वे वहां दरवाजे में खड़े हुए थे, मेरा रास्ता रोके हुए, मानों सोच रहे हों, हम नहीं जानते किधर मुड़ना है, हम स्तंभित हैं। इसलिए मैंने उन्हें धकेल कर रास्ता बनाया, कठोरता से नहीं, बहुत कोमलता से - मुझे उन पर दया सी आयी क्योंकि मैंने कई बार ऐडम्स को उन पर भी चिल्लाते हुए सुना था - लेकिन उनमें से एक नीचे झुका, केवल एक घुटने पर, और मैंने उसे ऊपर उठाना चाहा, और उसने मुझे दांत से काटने की कोशिश की! लग रहा था उसे नहीं पता था कि यह सब क्या था, और इस से मुझे तकलीफ हुई जिसने मुझे पागल कर दिया। मैं फिर ऐडम्स के पास गया जो अभी उठ ही रहा था और उसके सिर पर फिर एक थप्पड़ जड़ दिया, दांत काटने के बदले में।
दूर रखो, मैंने कहा, अपने नालायक बच्चों को दूर रखो.....।
फिर मुझे कुछ ताजा हवा की जरुरत महसूस हुई इसलिए मैंने उस ब्लॉक के चारो ओर एक चक्कर लगाया लेकिन अभी भी कुछ शांति नहीं मिली। क्योंकि आप जानते ही हैं, अभी यह शुरुआत है? ऐडम्स गुस्साया हुआ और हताश मेरे बारे में अपने बच्चों से तमाम झूठी बातें कह रहा होगा जिसे जो कुछ उन सब ने देखा (थप्पड़ लगाना) और जो कुछ नहीं देखा (मेरे बच्चों के कमरे के सामने की ओर उसका निक्कर पहने हुए होना) वे संभवतः हर असत्य को सच मान रहे होंगे और मैं… बहुत बढ़िया, अब वे मुझ से घृणा करेंगे, जैसे इस सब में मैं ही बुरा आदमी हूँ और फिर पूरी गर्मियों भर वे परेशान करेंगे जैसे कि पानी की पाइप काट देना, गैस टैंक में सिरप डाल देना अथवा आकस्मिक रूप से मेरे कुत्ते के पेट पर जलने का निशान इत्यादि।
इसलिए मैंने कुछ इस तरह की पर्चियां टाइप की - तो क्या तुम जानते हो कि तुम्हारे डैड मेरे किचन में नंगे खड़े थे, मेरे बच्चों के कमरे के सामने। और मैंने ऐसी एक पर्ची उनके दरवाजे के नीचे सरका दी ताकि जब बाद में वे खेलने जाने लगें तो यह उन्हें मिल जाये। फिर मैंने इसी तरह की नौ पर्चियां उनके लेटर बॉक्स में ठूंस दी और बाकियों में मैंने ‘तुम्हारे डैड’ काट कर ‘फ्रैंक ऐडम्स’ लिख दिया और उसे ब्लॉक के तमाम लेटर बक्सों में डाल दिया।
फिर सारी रात पड़ोसियों के फोन पर फोन आते रहे, वे कह रहे थे, पुलिस बुलाओ, ऐडम्स को सहायता की जरुरत है, वह बेवकूफ है, मुझे हमेशा उससे घृणा रही है, हो सकता है हम में से कुछ को वहां जाना चाहिए, हमें तुम्हारे साथ मिल कर इस सम्बन्ध में कुछ करना चाहिए, तुम अपना धीरज मत छोड़ो। इसी तरह की बातें। यह सब बहुत अच्छा और सही था लेकिन जब मैं आधी रात के लगभग धूम्रपान के लिए बाहर निकला, वह वहां क्या देख रहा था, घृणा से भरा हुआ। अपना घर? बचपना नहीं। वह मेरे घर की ओर देख रहा है, उन सुलगती नज़रों से और मैं क्या सोच रहा हूँ - तुम किस चीज को देख रहे हो?
मैं जैसा भी हूँ मैं हूँ, उसने कहा।
तुम चूतिये, मैंने कहा और उसे थप्पड़ मारने के लिए दौड़ा लेकिन वह भीतर भाग गया।
और जहाँ तक पुलिस की बात थी, मैं महसूस कर रहा था : मुझे क्या करना चाहिए, तब तक इंतजार जब वह फिर से मेरे घर में न आ जाये, और फिर पुलिस बुलाओ और तब तक वह बच्चों के कमरे के सामने अपना हाफपैंट पहने खड़ा रहे, जब तक की वे आ न जाएँ?
नहीं, कतई नहीं, यह मेरा तरीका नहीं है।
अगले दिन मेरा नन्हा बेटा अपनी पतंग लिए पिछले दरवाजे पर खड़ा था और मैं किसी तरह लपक कर वहां पहुंचा और दरवाजे को बंद किया, ना, ना, तुम अच्छे से जानते हो कि क्यों नहीं, चैम्प।
तो बेचारा मेरा बच्चा, पूरे अपराह्न, पतंग अपनी गोद में लिए PBS पर किसी बेवकूफ कला ज्ञानी को यह कहते हुए देखता रहा : शेड्स की सहायता से हम गहराई दिखाते हैं, क्यों न इसे इस ठूंठ के लिए उपयुक्त होने के कारण आजमाया जाए।
फिर सोमवार की सुबह मैंने ऐडम्स को अपनी कार की और जाते हुए देखा। वह उन्हीं सुलगती निगाहों से मुझे देख रहा था! मुझे कभी किसी ने इतनी घृणा से नहीं देखा था। और उसकी हेकड़ी देखो! मानों वही सही है! इसलिए मैं फिर उसे थप्पड़ मारने दौड़ा, लेकिन वह कार में बैठ गया और वहां से चला गया।
सारे दिन उसकी निगाहें मेरे दिमाग में चढ़ी रहीं, वे घृणा भरी निगाहें।
और मैंने सोचा, यदि उसकी जगह मैं होता, यदि मेरे भीतर उतनी घृणा होती, तो मैं क्या करता? मैं एक ही काम करता, इसे रोकता, और रोकता और फिर एक रात वह नियंत्रण से बाहर हो जाती और मैं अपने दुश्मन के घर में चुपचाप घुस जाता और उसे और उसके परिवार को सोते में ही छुरा मार देता। या उन्हें शूट कर देता। मैं यही करता। तुम को करना पड़ेगा। यह मानव स्वभाव है। मैं किसी पर दोषारोपण नहीं कर रहा हूँ।
मैंने सोचा, मुझे सावधान रहना चाहिए और अपने परिवार की रक्षा करनी चाहिए अन्यथा उनके खून की जिम्मेदारी मेरे माथे होगी।
इसलिए मैं जल्दी घर आया और उस समय ऐडम्स के घर में गया जब मैं जानता था कि उसके घर में कोई नहीं होगा और मैंने उसके बेसमेंट से उसकी राइफल, मांस काटने के चाकू, किचन के और तमाम चाकू इकट्ठे किये और चाकू तेज करने का शार्पनर, पेपर कटर और भारी पेपरवेट भी, जिनका प्रयोग मैं यदि उसकी जगह होता तो बंदूक और चाकू न रहने पर कर सकता था, मैं निश्चित रूप से उनका प्रयोग नींद में अपने दुश्मन का सिर तोड़ने के लिए करता और उसके परिवार के लोगों के सिर भी।
उस रात मैं अच्छे से सोया जब तक कि एकाएक पसीने से भीग कर मेरी नींद न खुल गयी, मैं स्वयं से पूछ रहा था यदि कोई आये और मेरी पत्नी और बच्चों को धकेलने के बाद मेरी राइफल, मेरे चाकू, चाकू का शार्पनर और पेपरवेट भी चुरा कर चला जाए तब? और मैंने स्वयं को उत्तर दिया : मैं हड़बड़ी में यह करूँगा कि अपने घर में इधर उधर किसी और खतरनाक चीज को ढूंढूंगा, जैसे कि पेण्ट, जैसे कि थिनर, जैसे कि घरेलू इस्तेमाल के रसायन, और फिर या तो उसे अपने दुश्मन के घर के चारो ओर छिड़क कर आग लगा दूंगा या फिर उसे अपने दुश्मन के स्वीमिंग पूल में उड़ेल दूंगा जिससे (1) उनकी चमड़ी जल जाएगी और (2) मेरे दुश्मन के बच्चे, जब वे तैरने जायेंगे, बीमार हो जायेंगे।
फिर मैंने अपने सोते हुए बच्चों को देखा, हे भगवान, उसके बच्चे कहीं से भी मेरे बच्चों जैसे प्यारे नहीं हैं। और वहां पजामा पहने मैं निक्कर पहने ऐडम्स के बारे में सोचता रहा और दम घुटते और वामन करते अपने बच्चों की कल्पना करता रहा जब वे पूल से बाहर निकलने हेतु संघर्ष कर रहे होंगे। नहीं, कभी नहीं, मैं इस तरह नहीं जिन्दा रह सकता, मैंने सोचा।
इसलिए एक खिड़की के रास्ते भीतर जा कर, जिससे मैं उस अपराह्न पहले भीतर गया था, मैंने सारे घरेलू रसायन, और विश्वास करो, उस के पास ढेर सारे थे, मेरे पास से भी ज्यादा, जितनी उसे जरुरत थी उससे भी ज्यादा, थिनर, पेण्ट, गैस, साल्वेंट इत्यादि। मैंने उन्हें नौ बड़े बड़े झोलों में भर लिया और बस पहले बैग के साथ सीढ़ियों पर खड़ा ही हुआ था कि वह पूरा का पूरा अपशकुनी परिवार मुझ पर टूट पड़ा, बच्चे भी, मुझे कोट हैंगर्स से पीटते, नुकीले किनारे वाली किताबों से मारते, और बॉडी स्प्रे मेरी आँखों में छिड़कते हुए, उनका कुत्ता भी मुझे काटने की कोशिश कर रहा था और उनके बेसमेंट की सीढ़ियों से लुढ़कते हुए मैंने सोचा, वे मुझे मार डालने की कोशिश कर रहे हैं। मेरा सर कंक्रीट के फर्श पर टकराया और मुझे तारे दिखाई देने लगे और मैंने सोचा, नहीं, वे सचमुच मुझे मार डालने जा रहे हैं। और यदि वे मुझे मार डालते हैं तो फिर मैं और नन्ही मेलेनी फिर कभी एक ही बर्तन में पॉपकॉर्न नहीं खा पाएंगे, और ब्रियन फिर उस तरह कभी आंख नहीं मार पायेगा जैसे मैं और वो कोई घटिया चुटकुला सुनाने के बाद किया करते हैं, फिर कभी मैं और करेन विस्तार पर साथ साथ लेटे, खिड़की के बाहर देखते, जब पीली चोंच वाले पक्षी बिजली के तारों पर बैठ रहे - उड़ रहे होंगे, अपने भविष्य की योजनाओं की चर्चा नहीं कर पाएंगे। और मैंने अपने पैरों पर खड़ा होने हेतु संघर्ष किया, सोचता हुआ, भूल जाओ मैं यहाँ कैसे आया, मैं यहाँ हूँ, मुझे यहाँ से बाहर निकलना चाहिए, मुझे जीवित रहना है। और फिर मैंने थप्पड़ पर थप्पड़ चलाने शुरू कर दिए, और एक बार जब वे सब दूर जा गिरे, ऐडम्स और उसका किशोर बेटा सबसे छोटे बच्चे को अपने नीचे छिपाये हुए थे जो कि मेरी उसे लगायी गयी एक कुछ ज्यादा जोर की ठोकर के कारण अपेक्षाकृत अधिक दूर जा गिरा था, मैंने अपना लाइटर निकाला और झोले में आग लगा दी, झोला, जिसमें जहरीले रसायन भरे हुए थे, और मैं सीढ़ियों के ऊपर रोशनी की ओर भागा, जहाँ मुझे पता था कि दरवाजा था, जहाँ रात्रि पसरी थी, जहाँ मेरी स्वतंत्रता थी, और जहाँ मेरा घर था।
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(इस पोस्ट में प्रयुक्त पेंटिंग्स अनुष्का द्विवेदी की हैं।)
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मोबाइल : 8851054620
बहुत बढ़िया कहानी कहा-अच्छा अनुवाद। बधाई ,श्री विलास जी
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