डस्टिन पिकरिंग की कविताएं, अनुवाद : बालकीर्ति
डस्टिन पिकरिंग
कवि परिचय
डस्टिन पिकरिंग ट्रांसेंडेंट ज़ीरो (Transcendent Zero press) प्रेस के संस्थापक और हार्बिंगर एसाइलम (Harbinger Asylum) के संस्थापक संपादक हैं। उनके कई कविता संग्रह प्रकाशित हैं, जिनमें सॉल्ट एंड सॉरो, नोज़ नो एंड और ए मैटर ऑफ डिग्रीस शामिल हैं। उनका लघु कहानी संग्रह, द मैडमैन एंड फू (The madman and fu), साथ ही उनका अलौकिक षड्यंत्र उपन्यास बी नॉट अफ्रेड ऑफ व्हाट यू मे फाइंड : एलियन बुद्धा प्रेस द्वारा प्रकाशित किया गया था। वह ह्यूस्टन Houston, टेक्सास में रहते हैं।
उन्होंने हफिंगटन पोस्ट, कैफे डिसेन्सस एवरीडे, द स्टेट्समैन (इंडिया), जर्नल ऑफ लिबर्टी एंड इंटरनेशनल अफेयर्स, द कोलोराडो रिव्यू, वर्ल्ड लिटरेचर टुडे और कई अन्य प्रकाशनों में लेखन में योगदान दिया है। वह यूट्यूब पर लोकप्रिय साक्षात्कार श्रृंखला ‘वर्ल्ड इंकर्स नेटवर्क’ की मेजबानी करते हैं। आप उन्हें इंस्टाग्राम: @poetpickering और ट्विटर: @DustinPickerin2 पर पा सकते हैं।
बालकीर्ति एक समर्थ कवि हैं। उनकी ख्याति एक बेहतर अनुवादक की है। पहली बार के लिए बालकीर्ति ने डस्टिन पिकरिंग की कुछ कविताएं भेजी हैं। डस्टिन पिकरिंग की कविताओं के सन्दर्भ में वे लिखती हैं : डस्टिन पिकरिंग की इस कविता में अकिलिस और पेनेलोप की दो प्रमुख ग्रीक कथाओं से सत्व खींचना बहुत प्रभावशाली लगा।एक जिसकी सबसे छोटी विनाशकारी भेद्यता उसके दिव्य अनुपम शरीर में कृष्ण की तरह उसकी एड़ी में छिपी है और मैंने उसे अनुवाद करते हुए साहिबा मिर्जा की कथा से भी जोड़ दिया।प्रेम में सबसे छोटी विनाशकारी भेद्यता ही प्रेमी से चोरी की जाती है जैसे साहिबा अर्जुन जैसे अचूक तीरंदाज़ मिर्ज़ा के तीर चुरा कर तोड़ देती है! तो दूसरी ओर पेनेलोप है जो कफन बुनती है जब तक उसका ओडिसीयस लौट नहीं आता, 12 कुल्हाड़ियों के सर अपने तीर से बेध उसे 108 विवाह के अभ्यर्थियों से छुटकारा दिलाने! लेकिन कौन जानता है पेनेलोप सी वफादार स्त्री भी साहिबा की तरह Achilles की सबसे छोटी बेद्यता को शिकार नहीं बनाएगी? उसकी एड़ी या फिर उसके तीर! तो आइए आज पहली बार पर हम पढ़ते हैं डस्टिन पिकरिंग की कविताएं, हिन्दी अनुवाद बालकीर्ति का है।
डस्टिन पिकरिंग की कविताएं
अनुवाद : बालकीर्ति
मद्धम होती आंखें
(मेरी चाची के लिए)
उसकी आंखें धुंधली नहीं होतीं जैसे
समुद्र डुबोता है
खरपतवारों से उग आए डर के जंगलों को, खोखले आकर्षण
बल्कि अनखिले हुए।
बीमारी और भय की—
उरुसंधि को जकड़े
अणु अपने ज़हरीले समारोहों का नर्तन रचते हैं,
पीड़ा सूली पर चढ़ाने वाली कुतिया है
परन्तु परमेश्वर
तेरी ओर रहेगा :
मुक्कदस
सज़ा ए मौत का रूमाल गिराता हाथ।
वह हमेशा काले साए के खुले ताबूत में मुझे संभाल के रखती है
जब दुःख मेरे जकड़े दांतों को भय दिखा आधा खोल देता है
मेरे मन को भय के अंदेशे और वज़ीफे से आज़ाद करती है।
पूर्ण और एकांत सुख से चूमे हुए तुम,
मुर्दा चीर फाड़ के अभयारण्य जाते हो :
एक दिन हम सब झूलती थरथराहटों में होंगे :
ये क्या जगह है दोस्तों?
चेहरा
फिर चेहरा
आता है
करीब—
यह क्या है?
मैं प्रेत हूँ इस
वासंती गुलाब का
स्वर्ग
जहां आकाशदीप
आत्मीयता
से टूटे हुए
सूजे और
चौंके हुए
ग़मगीन हिफ़ाज़तों से
यह क्या है?
चेहरा
दरवाजे में
मौत से भी ऊँचा
रात
तड़क जाएगी।
पेनेलोप की तूलिका के आघात
मैं तुम्हारे चुंबन जलाता हूँ
आधी रात के तेल की तरह, ओ धोखे,
और तुम्हारा अनुमान मेरे जितना ही सटीक
-एड़ी
(छोटी विनाशकारी भेद्यता)
अकिलिस के आश्चर्य सा,
उसकी तीरंदाज़ी
चोरी होती हुई
मिर्ज़ा के तीरों सी
साहिबा से चोरी!
समय को
निगलने वाली
नज़र की चाल
टूटे तीरों के मलबे से,
मैं प्यार नहीं करूँगा,
मैं नहीं थामे रहूंगा,
अब और नहीं।
तुम्हारी आंखें,
आबीघोड़े की आंख में कफन बुनती
ओ ग़द्दारी
और अकिलिस आग ले भागा
मेरे दिल से,
और चोर,
हे स्वप्न!
तुम कभी शुरुआत नहीं थे
न ही कोई अंत :
एड़ी की तरह!
और लौ सुनहरी छड़ी से विनती करती है
जहां
तुम्हारी कृपा दया देखती है,
दया देखती
क्योंकि मौन झिलमिलाती डबडब है!
अकिलिस :
ग्रीक पौराणिक कथाओं में, अकिलिस ट्रोजन युद्ध में ग्रीक सेना का सबसे महान योद्धा था।
नश्वर राजा पेलियस और समुद्री अप्सरा थेटीस के घर जन्मे, अकिलिस को एक बच्चे के रूप में उसकी मां ने जादुई स्टाइक्स नदी में डुबो उसके शरीर को किसी भी आक्रमण के चलते नुकसान या क्षति होने से अभेद्य बना दिया था।
अकिलिस की केवल एक ही कमजोरी थी: थेटीस ने उसे नदी में डुबाते समय एड़ी पकड़ रखी थी। उसकी एड़ी उसके शरीर में एक छोटी लेकिन संभावित रूप से विनाशकारी भेद्यता की तरह थी।
कुछ कथनों में, यह भविष्यवाणी की गई है कि अकिलिस ट्रोजन युद्ध में लड़ते हुए मर जाएगा; दूसरों में, ग्रीक देवता अपोलो राजकुमार पेरिस के तीर को अकिलिस की एड़ी के कमजोर स्थान पर निर्देशित करते हैं, जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है; और अन्य में, पैट्रोक्ल्स-अकिलीज़ का मित्र या प्रेमी-अकिलीज़ का रूप धारण करता है और उसके स्थान पर युद्ध में मर जाता है।
पेनेलोप :
होमर द्वारा लिखित ओडिसी में पेनेलोप ओडीसियस की पत्नी है। वह इकेरियस और पेरीओबोइया की बेटी और टेलीमेकस की मां हैं। वह अपने पति की बीस वर्षों की अनुपस्थिति के दौरान उसके प्रति वफ़ादार बनी रहती है, इसके बावजूद कि उसके विवाह के लिए 108 लड़के होड़ कर रहे हैं।
होमर की ओडिसी कहानी बताती है कि कैसे, ट्रोजन युद्ध के बाद अपने पति की लंबी अनुपस्थिति के दौरान, इथाका और आसपास के द्वीपों के कई प्रमुख उसके (पेनेलोप) के रक्षक सिपहसालार बन गए। खुद को विवाह के इच्छुक आयातकों से दूर करने के लिए वह जोर दे कर कहती है कि जब तक वह ओडिसियस के पिता लेर्टेस के लिए कफन नहीं बुन लेती, तब तक इंतजार करें। तीन साल तक हर रात, जब तक उसकी नौकरानियों में से कोई एक रहस्य नहीं बताता, वह उस टुकड़े को खोल उधेड़ देती है, जिसे उसने दिन-रात बुना है, ताकि उसे अपने प्यारे पति और पुनर्विवाह की उम्मीद न छोड़नी पड़े। पकड़ी जाने पर और रहस्य खुलने पर वह शर्त लगाती है के जो कोई भी ओडीसियस की धनुष में डोरी बांध उसका संधान कर 12 कुल्हाड़ियों के सिरों का एक तीर से शिरोच्छेद कर सके उससे वह शादी कर लेगी जो वापस लौट ओडिसियस ही कर पाता है।
अनुवादक : बालकीर्ति
जन्म स्थान : दिल्ली
शिक्षा : M. Ed.,
रचनाएं : विविध पत्र-पत्रिकाओं यथा अलाव, समकालीन अभिव्यक्ति, माटी वाणी समाचार, माध्यम, कथादेश में
पुरस्कार व सम्मान : साहित्य समर्था श्रेष्ठ कहानी पुरस्कार, सीवी रमन साइंस फिक्शन ट्रॉफी, कथादेश लघु कथा प्रतियोगिता पुरस्कार, साहित्य समर्था कविता प्रतियोगिता पुरस्कार।
अनुवाद: स्त्री दर्पण की हर दूसरे रविवार ब्लॉग पर आने वाली अनुवाद श्रृंखला के लिए अनुवाद कार्य
संप्रति : स्वतंत्र लेखन
सम्पर्क
फोन नंबर -
8512806394
Email :
Balkirti kumari@gmail.com
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