अलका प्रकाश का आलेख 'मुक्तिबोध का रचनात्मक प्रदेय'
मुक्तिबोध वर्ष 2017 मुक्तिबोध के जन्मशताब्दी वर्ष के रूप में मनाया गया । इस अप्रतिम रचनाकार की जन्मशताब्दी के अवसर पर हमने पहली बार की तरफ से मुक्तिबोध की रचना के विविध आयामों पर आलेख समय-समय पर प्रकाशित किए। इसी कड़ी में आज प्रस्तुत है युवा कवि अलका प्रकाश का यह आलेख ' मुक्तिबोध का रचनात्मक प्रदेय' । मुक्तिबोध का रचनात्मक प्रदेय डॉ. अलका प्रकाश प्रायः मुक्तिबोध की प्रतिबद्धता को समझने के लिए वर्ग-चेतना , क्रान्ति के प्रति उनकी आस्था और मार्क्सवादी विचार-सरणियों का आधार लिया जाता है। उनके साहित्य के वैचारिक-परिप्रेक्ष्य को उनकी आत्मग्रस्तता , उनके काव्य-नायक के व्यक्तित्त्व और उनके भीतर मौजूद सतत् बेचैनी को अस्तित्ववादी या आधुनिकतावाद जैसे सूत्रों से जोड़ कर देखा जाता है। पर ऐसा करना भ्रामक है , क्योंकि ऐसा करने से कविता की संरचना को एक निश्चित अर्थ-संकेत से ही समझा जाता है। कविता का प्रभाव जनमानस पर एक-सा नहीं पड़ता। कविता को हर पाठक अपने अनुभव , विचार , संस्कार और व्यक्तिगत अभिरूचि के हिसाब से समझ...