शैलेन्द्र चौहान का आलेख 'बाबा नागार्जुन का भाव-बोध'
बाबा नागार्जुन अपने पुरखे कवियों की परम्परा को आगे बढ़ाने का काम बाबा नागार्जुन ने जिस शिद्दत के साथ किया वह अपने-आप में बेजोड़ और अलहदा है. उनकी कविताएँ भारतीय जन-मानस की कविताएँ हैं जिनमें व्यंग के सहारे बहुत कुछ कह देने की क्षमता होती है. विषय बिल्कुल अपनी धरती के हैं. एक से एक नायाब विषय. तात्कालिक घटनाओं को आधार बना कर बाबा ने जितनी यादगार कविताएँ लिखीं उतनी शायद ही किसी ने लिखीं हों. आज बाबा नागार्जुन का जन्मदिन है. जन्मदिन पर बाबा को नमन करते हुए हम पहली बार पर प्रस्तुत कर रहे हैं शैलेन्द्र चौहान का आलेख 'बाबा नागार्जुन का भाव-बोध'. तो आइए पढ़ते हैं शैलेन्द्र चौहान का यह महत्वपूर्ण आलेख. बाबा नागार्जुन का भाव-बोध शैलेन्द्र चौहान बाबा नागार्जुन को भावबोध और कविता के मिज़ाज के स्तर पर सबसे अधिक निराला और कबीर के साथ जोड़ कर देखा गया है। वैसे, यदि जरा और व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो नागार्जुन के काव्य में अब तक की पूरी भारतीय काव्य-परंपरा ही जीवंत रूप में उपस्थित देखी जा सकती है। उनका कवि-व्यक्तित्व कालिदास और विद्यापति जैसे कई ...