हिमतरु साहित्यिक विशेषांक की प्रद्युम्न कुमार सिंह द्वारा की गयी समीक्षा
युवा कवि प्रद्युम्न कुमार सिंह ने हिमतरू के उस साहित्यिक विशेषांक को पढ़ कर एक टीप लिखी है जो युवा कवि गणेश गनी पर केन्द्रित किया गया था । गद्य-लेखन से ही किसी भी रचनाकार की भाषिक समृद्धता और सम्पन्नता का आंकलन किया जा सकता है । इस क्षेत्र में प्रद्युम्न अभी नवागत हैं और अपने को साबित करने के क्रम में उन्हें आगे काफी परिश्रम करना होगा । युवा साथियों को लेखन के लिए प्रोत्साहित करने को ले कर ‘पहली बार’ ब्लॉग शुरू से ही प्रतिबद्ध रहा है और आज भी इस दिशा में लगातार सक्रिय है। इसी कड़ी में आज प्रस्तुत है प्रद्युम्न की एक टीप जो उन्होंने हिमतरू के साहित्यिक विशेषांक को केन्द्रित कर लिखी है। हिमाचल के काव्य हस्ताक्षर गणेश गनी (गणेश भरद्वाज) प्रद्युम्न कुमार सिंह आज ' हिमतरु ' पत्रिका का अक्टूबर २०१५ का अंक पढ़ा । इसे पढ़ कर लगा कि गणेश गनी समकालीन कविता के निश्चित रूप से सशक्त हस्ताक्षर हैं । पत्रिका में एक आलेख ‘कविता आत्मा का संगीत है’ शीर्षक से प्रकाशित है, जो बहुत ही भावपूर्ण है । इसमें गनी जी ने वह तत्व खोजने का प...