उमा शंकर सिंह परमार का आलेख "अँधेरे समय में उजली उम्मीदों का कवि”
 
       वीरेन डंगवाल        विगत 28 सितम्बर को हम सबके प्यारे कवि वीरेन डंगवाल नहीं रहे।  पांच अगस्त  1947  को शुरू हुआ उनके जीवन का सफर 28 सितम्बर को सुबह 4 बजे समाप्त हो गया ।  वीरेन दा न केवल एक बेहतर कवि थे बल्कि एक उम्दा इंसान भी थे ।  उनसे मिलने वाला कोई भी व्यक्ति सहज ही उनका मुरीद हो जाता था ।  जीवन में अटूट विश्वास रखने वाला हम सबका प्यारा यह कवि पिछले कुछ समय से कैंसर से जूझ रहा था ।  पहली बार परिवार की तरफ से वीरेन डंगवाल को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए हम प्रस्तुत कर रहे हैं उमाशंकर सिंह परमार का एक श्रद्धांजलि आलेख ।  साथ में वीरेन डंगवाल की कुछ चर्चित कविताएँ भी दी जा रही हैं ।  इनका चयन उमाशंकर ने ही किया है ।                       "अँधेरे समय में उजली उम्मीदों का कवि”     उमाशंकर सिंह परमार      दिनांक २८-०९- २०१५ की सुबह पांच बजे मेरे फोन की घंटी बजी मैंने देखा तो निलय उपाध्याय का फोन था। जैसे फोन उठाया निलय जी ने कहा की वीरेन दा नहीं रहे। तुरत मित्रों को फोन किया। इस दुखद खबर की पुष्टि की। पता चला की आज सुबह चार बजे हमारे प्रि...